- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- एलोरा की गुफाओं में...
महाराष्ट्र
एलोरा की गुफाओं में बनी कलाकृतियां दर्शाती है भगवान गणेश के विभिन्न स्वरूप
Rani Sahu
4 Sep 2022 9:19 AM GMT
x
औरंगाबाद: देश में सर्वाधिक पूजे जाने वाले देवताओं में से एक भगवान गणेश के विभिन्न स्वरूपों को महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल एलोरा गुफाओं में भली भांति दर्शाया गया है। एलोरा में पांचवीं से दसवीं शताब्दी के बीच बनी कलात्मक आकृतियां हैं जिनमें हिन्दुओं के सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक को यक्षों के बीच नृत्य करते हुए या अपने पिता भगवान शिव के नटराज स्वरूप की तरह दिखाया गया है। औरंगाबाद शहर से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एलोरा 34 कंदराओं का समूह है जिसमें हिन्दू, बौद्ध और जैन मतों से संबंधित कलाकृतियां हैं।
पहले निर्मित गुफाओं में भगवान गणेश को एक स्वतंत्र देवता के रूप में नहीं दिखाया गया है बल्कि उन्हें देवताओं के समूह के एक भाग के रूप में प्रदर्शित किया गया है। भारतीय संस्कृति की अध्येता शैली पालांडे दातार ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, "पहले बनी गुफाओं में हमें भगवान गणेश शिव का नृत्य करते नटराज स्वरूप जैसे दिखते हैं। इससे उनकी स्थिति यक्ष और अन्य गणों के साथ शिव के गण के रूप में नजर आती है। छठवीं शताब्दी में गणेश का स्वरूप ऐसा था।"
उन्होंने कहा कि छठवीं और सातवीं शताब्दी की गुफाओं में गणेश को सप्तमातृका या माता के रूप में सात देवियों (ब्राह्मणी, वैष्णवी, शिवदूती या इंद्राणी, नरसिंहि, चामुंडा, कौमारी और वर्षी) जैसा प्रदर्शित किया गया है तथा उन्हें स्वतंत्र देवता जैसा नहीं दिखाया गया है। रामेश्वर गुफा के नाम से लोकप्रिय गुफा संख्या 25 में भगवान शिव और देवी पार्वती के जीवन का एक वृत्तांत दर्शाया गया है और उसमें गणेश को दिखाया गया है। पालांडे दातार ने कहा, "शिव के इस चित्र में गणेश की उपस्थिति से उनके नाम 'साक्षी विनायक' को समझा जा सकता है जिसका अर्थ है कई घटनाओं का प्रत्यक्षदर्शी या साक्षी।"
1300 Years Old Ganesha Idol Holding Modak In One Hand
— indianhistorypics (@IndiaHistorypic) August 31, 2022
7th Century A.D, Ellora Caves, Maharashtra pic.twitter.com/8uZUVL3dzJ
कैलास के गर्भगृह के समीप सोम स्कन्द की मूर्ति है जिसमें शिव परिवार दिखाया गया है लेकिन इसमें गणेश उपस्थित नहीं हैं। उन्हें शैव पंचायतन के रास्ते में परिक्रमा करते समय शैव समूह में बड़ी मूर्ति के रूप में देखा जा सकता है।
राष्ट्रकूट राजवंश द्वारा द्वारा बनवायी गई गुफा संख्या 16 के प्रवेश द्वार पर भी गणेश की भव्य प्रतिमा देखी जा सकती है। कुंडलिनी जागरण को दर्शाने वाले हजार पंखुड़ियों वाले कमल में गणेश मूलाधार चक्र के प्रधान देवता हैं। पालांडे दातार ने कहा, "नंदी मंडप की छत (गुफा 16) पर हमें गणेश की सबसे पुरानी पेंटिंग मिलती है।" विशेषज्ञ और गाइड मधुसूदन पाटिल ने बताया कि एलोरा में गणेश की मूर्तियों और आकृतियों में हमें जो सबसे रोचक तथ्य मिलता है वह यह है कि उनका वाहन मूषक कहीं नहीं है।
पाटिल ने कहा, "बाद के काल में गणेश एक स्वतंत्र देवता के रूप में पूजे गए। लेकिन यहां उन्हें मूषक के बिना दर्शाया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि मूषक का संदर्भ सर्वप्रथम गणेश पुराण में मिलता है और यह बाद में लिखा गया।" पाटिल ने दावा किया कि मूषक पर विराजमान गणेश की पेंटिंग बाद के काल में आई। उन्होंने कहा कि भगवान गणेश की सबसे बड़ी प्रतिमा गुफा संख्या 17 में है जहां उन्हें हाथ में लड्डुओं से भरा पात्र लिए दिखाया गया है। एलोरा के विशेषज्ञ योगेश जोशी भी एलोरा में भगवान गणेश के महत्व को रेखांकित करते हैं। जोशी ने कहा, "पूर्व मध्यकाल में जब यादव राजवंश एलोरा के आसपास शासन करता था और देवगिरि का किला उसका आधार था तब दुर्ग के आसपास और एलोरा में कई स्वतंत्र गणेश प्रतिमाएं बनवाई गईं।"
Next Story