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इगतपुरी : इगतपुरी (Igatpuri) और त्र्यंबकेश्वर (Trimbakeshwar) प्रादेशिक वन परिक्षेत्र कार्यालय ने तेंदुए (Leopard) के अवयवों (Components) की तस्करी (Smuggled) करने वाले टोली के 4 सदस्यों को रंगेहाथ गिरफ्तार (Arrested) किया। वन विभाग को सूत्रों से जानकारी मिली की तेंदुए के अवयवों की तस्करी करने वाली टोली त्र्यंबकेश्वर तहसील के अंबोली में आई है। इसके बाद नाशिक उप वन संरक्षक पंकजकुमार गर्ग के मार्गदर्शन में इगतपुरी वन परिक्षेत्र अधिकारी केतन बिरारीस के नेतृत्व में वन परिमंडल अधिकारी भाऊसाहब राव, शैलेश झुटे, पोपट डांगे, सचिन दिवाने, वन रक्षक फैजअली सय्यद, आर. टी. पाठक, मुज्जू शेख, गुव्हाडे, पी. डी. गांगुर्डे, जी. डी. बागुल, विठ्ठल गावंडे, एस. पी. थोरात, सी. डी. गाडर, राहुल घाटेसाव, त्र्यंबकेश्वर प्रादेशिक वनक्षेत्र के वनरक्षक संतोष बोडके, वन परिमंडल अधिकारी ए. एस. निंबेकर, एम. ए. इनामदार, मधुकर चव्हाण, वनरक्षक एन ए गोरे, के. वाय. दलवी, एस. ए. पवार आदि ने घात लगाया।
तेंदुए की खाल के साथ दो बाइक जब्त
जैसे ही तस्करों को पथक ने पकड़ने का प्रयास किया वैसे ही पथक और तस्कर टोली में हाथापाई हुई। इसके बाद वन परिक्षेत्र अधिकारी केतन बिरारीस ने हवा में फायरिंग की। इसके बाद पथक ने 4 संदिग्ध आरोपियों को गिरफ्तार कर उनसे तेंदुए की खाल और दो बाइक जब्त की। संदिग्ध आरोपियों में प्रकाश लक्ष्मण राऊत (43, रा. रांजणपाडा, ता. मोखाडा, जि. पालघर), परशुराम महादु चौधरी (30, रा. चिंचुतारा, ता. मोखाडा, जि. पालघर), यशवंत हेमा मौली (38, रा. कुडवा, ता. मोखाडा, जि. पालघर), हेतु हेमा मौली (38, रा. कुडवा, ता. मोखाडा, जि. पालघर) आदि शामिल है।
पथक और तस्करों में हुई हाथापाई
इस कार्रवाई में वन अधिकारी ने वन परिमंडल अधिकारी भाऊसाहेब राव ने फर्जी ग्राहक की भूमिका निभाते हुए तस्करों के साथ संपर्क किया। इसके बाद कुछ रकम में सौंदा तय हुआ, परंतु 4 बार तस्करों ने जगह बदलकर मिलने से टाल दिया। आखिरकार त्र्यंबकेश्वर तहसील के आंबोली में व्यवहार करने के लिए पथक पहुंचा। दरमियान तस्करों को संदेह आने के बाद अधिकारी और तस्करों में हाथापाई हुई। दरमियान वन परिक्षेत्र अधिकारी केतन बिरारीस ने हवा में फायरिंग की। इसके तस्करों को गिरफ्तार किया। इस टोली में इगतपुरी, त्र्यंबकेश्वर और नाशिक जिले के साथ ठाणे, पालघर जिले के तस्कर शामिल होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। ऐसी ही कार्रवाई 2018 में तत्कालीन वन परिमंडल अधिकारी गोरक्षनाथ जाधव ने की थी।