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मध्य प्रदेश
शब्द और भाषा ही पीढ़ी दर पीढ़ी हमारी सभ्यता व संस्कृति को आगे ले जाते हैं : डॉ. आनंद रंगनाथन
Harrison
4 Oct 2023 10:37 AM GMT
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मध्यप्रदेश | लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन भी साहित्य, कला और संस्कृति पर खूब चर्चा हुई. कविताएं पढ़ी गईं, कबीर गीत गाए गए और मोटिवेशन स्पीच हुई. बच्चों और युवाओं के साथ महिलाओं की उपस्थिति पहले दिन की तुलना में और भी ज्यादा नजर आई. बेस्ट सेलर लेखिका प्रीति शिनाय और मनीषा कुलश्रेष्ठ से गरिमा दुबे और शिखा काबरा ने ‘जीवन एक रोमांस नहीं है’ विषय पर बातचीत की. मनीषा कुलश्रेष्ठ ने कहा, रोमांस केटिलिस्ट की तरह काम करता है. रोमांस फिल्मों से आया है. पूरी जिंदगी रुमानियत नहीं होती. ज्यादा रुमानियत में हम नवाचार को भूल जाते हैं. पुराने दौर में जो नौटंकिया होती थीं बाद में उन्हीं लोगों ने फिल्में भी बनाईं.
अगले सत्र में शानू मेहता, आदिम सिंह बघेल और जय अरोरा ने विचारक और वक्ता डॉ. आनंद रंगनाथन और प्रीति शिनाय से बात की. प्रीति शिनाय ने कहा, मेरे अधिकांश उपन्यास रोमांस पर केंद्र्रित हैं और मैं नई पीढ़ी को ध्यान में रखकर लेखन करती हूं. मेरी पढ़ाई और निवास दोनों ही बदलते रहे, लेकिन जो मेरे साथ हमेशा रही वह हैं किताबें. किताबों का मैंने खूब अध्ययन किया है, इसलिए मैं आज अच्छा लिख लेती हूं. मेरा नया उपन्यास जल्द ही आने वाला हैं, जिसका शीर्षक है ‘ऑल द लव, यू डिजर्व इट’. कार्यक्रम में विभा जैन, उत्पल बनर्जी, डॉ. रजनी भंडारी, मुकेश तिवारी भी उपस्थित थे.
कई क्षेत्रों में महिलाओं का प्रतिशत कम क्यों?
शानू मेहता के प्रश्नों के जवाब में लेखक, विचारक और वक्ता आनंद रंगनाथन ने कहा, मुझे लगता है मीडियाकर्मी को शब्दों का चयन बहुत सोच समझकर करना चाहिए, क्योंकि जो छपता है उसे पढ़कर समाज अपनी धारणा बनाता है. इसलिए पत्रकारों की जवाबदारी बहुत बढ़ जाती है. शब्द और भाषा ही पीढ़ी दर पीढ़ी हमारी सभ्यता और संस्कृति को आगे ले जाते हैं. रंगनाथन ने आगे कहा, मोदी सरकार ने राजनीति में तो महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का विधेयक पास कर दिया, लेकिन शिक्षा, वित्त, प्रबंधन, विधि जैसे विषयों पर ध्यान नहीं है. देश में बड़ी संख्या में पीएचडी पास आउट हैं, लेकिन मात्र 3% महिलाएं ही वाइस चांसलर हैं. सुप्रीम कोर्ट में भी महिलाओं का प्रतिशत कम है.
हर वर्ष एक नई कला सीखें
शिक्षाविद टिम्सी रॉॅय और निधि हासीजा के प्रश्नों के जवाब में गीतांजलि जे अंगमो ने कहा, हम अपने एक अनुशासन को दूसरी चीज में भी ढाल सकते हैं. हर वर्ष एक नई कला सीखें. इंदौर लिटरेचर सोसायटी के अध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने बताया, चिन्मयी त्रिपाठी ने कबीर गीतों की प्रस्तुति दी. संचालन डॉ. गरिमा दुबे व अतिथि स्वागत प्रवीण शर्मा व ख्याति शर्मा ने किया.
पदार्थवादी नहीं होना चाहिए सपने
नेहा मित्तल के प्रश्नों के जवाब में जाने माने इनोवेटर, शिक्षाविद सोनम वांगचुक ने कहा, हम इस पृथ्वी को रहने लायक बनाएं. हमारा जीवन ऐसा हो कि दूसरों के जीवन में कष्ट कम आए. हम लाखों प्राणियों में एक प्रजाति हैं, इसलिए मनुष्य आने वाली प्राणियों के हिस्से का ना खाएं. अपनी इच्छाओं को जड़ से ही खत्म कर दें. हमारे सपने पदार्थवादी नहीं होना चाहिए.
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