मध्य प्रदेश

सुनील कांकरिया हत्याकांड: पांच साल बाद आया फैसला, दो आरोपियों को कारावास

Harrison
2 Sep 2023 8:40 AM GMT
सुनील कांकरिया हत्याकांड: पांच साल बाद आया फैसला, दो आरोपियों को कारावास
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मध्यप्रदेश | नगर के मेन रोड स्थित सर्राफा व्यापारी हत्याकांड मामले में पांच वर्ष बाद फैसला आया है. इस प्रकरण में जिला एवं सत्र न्यायाधीश दिनेशचंद्र थपलियाल की अदालत ने दो आरोपियों को दस-दस वर्ष के कारावास और 16 हजार रुपए के दंड से दंडित किया है. इस मामले में न्यायालय ने झारखंड जमशेदपुर के पूर्वी सिंहभूमि के बाबू लाइन मौभंडार उपर बांदा निवासी निर्मल सेराफिन पिता लॉरेंस (36) और झारखंड टाटानगर टेक्को के जेम्को कॉलोनी निवासी अमर पिता सतीशचंद मेहतो (51)को सजा सुनाई है. मामले में अभियोजन की ओर से लोक अभियोजक एमएम द्विवेदी ने पैरवी की.
शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि आरोपी राकेश जैन उर्फ जैनी, निर्मल सेराफिन, अमर मेहतो, राजू प्रसाद, अमित कुमार सिंगारी उर्फ गोलु और अभिषेक सिंह पर आरोप था कि 315 बोर की बंदूक के साथ आरोपी लूट करने की मंशा से आए थे. जिनका सामना सुनील कांकरिया से होने के बाद आरोपियो ने देशी कट्टा के बट से उसके सिर पर वार कर दिया था. जिससे सुनील कांकरिया घर की सीढ़ियों से गिर गए थे. मेहुल कांकरिया ने पुलिस को बताया था कि जब वह बाहर आया तो देख कि दो लोग तेजी से बाहर जा रहे हैं. यह घटना 20 नवम्बर 2017 की है. इस हाईप्रोफाइल मामले में वर्ष 2019 में हत्याकांड के आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था.
तत्कालीन पुलिस अधीक्षक जयदेवन ए की टीम ने 9 जनवरी 2019 को हत्या के मास्टरमाईंड और मृतक के रिश्तेदार झारखंड के जमशेदपुर के थाना जुगसलाई अंतर्गत गंज मोहल्ला निवासी राकेश जैन उर्फ जैनी पिता मोतीलाल जैन (40), निर्मल सेरोफिन और अमर महतो को गिरफ्तार किया था. जबकि शेष तीन आरोपी अभिषेक राजपूत , अमित सिंगारे उर्फ गोलू, राजू प्रसाद किसी मामले में जमशेदपुर जेल में बंद थे. जिसमें से पुलिस ने प्रोटेक्शन वारंट में अभिषेक राजपूत को बालाघाट लाया था. जिन्हें न्यायालय में पेश किया था. जहां से न्यायिक अभिरक्षा में सभी को जेल भिजवा दिया गया था. यह पूरा घटनाक्रम तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अमित सांघी के कार्यकाल में हुआ था. मामले की संपूर्ण विवेचना उपरांत पुलिस ने अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया. जिसमें विचारण उपरांत न्यायालय ने दो आरोपी निर्मल सेराफिन और अमर मेहतो को 10-10 वर्ष के सश्रम कारावास और 16 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है. जबकि चार आरोपियों को साक्ष्य नहीं मिलने दोषमुक्त कर दिया.
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