मध्य प्रदेश

24 साल बाद गिरफ्तार हुआ फूलन देवी किडनैपिंग मामले का मुख्य आरोपी

Shantanu Roy
26 Jun 2022 1:59 PM GMT
24 साल बाद गिरफ्तार हुआ फूलन देवी किडनैपिंग मामले का मुख्य आरोपी
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औरैया। फूलन देवी की किडनैपिंग के आरोपी डकैत छिद्दा सिंह को औरैया से पकड़ लिया गया है। वह 24 साल से फरार चल रहा था। उस पर 50 हजार का इनाम भी था। वह मध्यप्रदेश के सतना में साधू बनकर रह रहा था। छिद्दा सिंह पर आरोप है कि 1981 में बेहमई कांड से पहले जब फूलन देवी का अपहरण विक्रम मल्लाह के ठिकाने से किया गया था तो छिद्दा सिंह सिंह उसमें शामिल था। छिद्दा सिंह बीमार है, इसलिए वह औरैया में अपने घर आया था। उसकी उम्र 69 साल है। किसी ने पुलिस को सूचना दे दी और वह पकड़ा गया। छिद्दा सिंह लालाराम के गिरोह का मुख्य सदस्य था। वह लालाराम के लिए अपहरण उद्योग भी चलाता था।

तबियत बिगड़ी तो आई घर की याद
छिद्दा सिंह 24 साल बाद अपने गांव औरेया के भसोन लौटा था। दो दशक पहले जब चंबल में डकैतों का सफाया हुआ तो वह भी सतना पहुंच गया। लेकिन जब तबीयत बिगड़ी तो उसे अपने घर की याद आई। छिद्दा सिंह अविवाहित है। लेकिन घर में अन्य सदस्य हैं। छिद्दा सिंह​​ अपने सहयोगी संन्यासी के साथ बोलेरो गाड़ी से शुक्रवार को वह अपने गांव पहुंचा। इस समय वह ठीक से चल भी नहीं पा रहा है। फिलहाल, गांव से ही पुलिस को सूचना मिली। जिसके बाद शनिवार को पहले उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। तबियत सही होने के बाद उसे आज अरेस्ट कर लिया गया है। ​​​​​
बृजमोहन दास महाराज रखा था अपना नाम
डकैती करने वाला छिद्दा सिंह एमपी के सतना में साधू बृजमोहन दास महाराज जी के नाम से रह रहा था। वह भगवद् आश्रम से जुड़ा हुआ है। उसने नए नाम और पते पर आधार कार्ड और पैन कार्ड तक बनवा रखा है।
20 साल की उम्र में भाग गया था घर से
छिद्दा सिंह 20 साल की उम्र में वह घर से भाग गया था। चंबल में उसने लालाराम का गिरोह जॉइन कर लिया था। धीरे-धीरे छिद्दा सिंह कुख्यात हो गया। आगे चलकर उसने लालाराम के लिए चंबल में अपहरण उद्योग खड़ा कर दिया। छिद्दा सिंह तब चर्चा में आया जब 1998 में अपहरण के मामले में ही पुलिस की मुठभेड़ छिद्दा सिंह से हुई। तब से छिद्दा सिंह फरार ही रहा।
भाई ने मृत दिखाकर जमीन कर ली थी अपने नाम गांव वाले कहते हैं कि जब पुलिस ने छिद्दा सिंह​​ की तलाश तेजी से शुरू की तो उसके भाई ने एक चाल चली। छिद्दा सिंह​​ को मृत दिखा कर उसकी जमीन अपने नाम करवा ली। इस तरह छिद्दा सिंह​​ दस्तावेजों में मृत घोषित हो गया, लेकिन पुलिस उसे जिंदा मान रही थी। तभी 2015 में पुलिस ने इसके ऊपर 50 हजार इनाम घोषित कर दिया गया था।
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