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आजादी के बाद से पूरी नहीं हुई 'कटन का पुरा' की मांग, चुनाव का किया बहिष्कार, पहले श्मशान फिर मतदान
भिंड। मूलभूत सुविधाओं की दरकार में सरकार बनाई जाती है फिर चाहे वह सरकार देश की हो, प्रदेश की हो या फिर पंचायत की. इसी के तहत भिंड के छीमका में लोग गांव की सरकार से सड़क, पानी के अलावा एक ऐसी व्यवस्था या स्थान चाहते हैं जहां अपनों के मरने के बाद उनका अंतिम संस्कार कर सकें. दरअसल अपने चुने जनप्रतिनिधियों और जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते कई गांव आज भी मुक्तिधाम की राह देख रहे हैं, ऐसे ही छीमका पंचायत के ग्राम कटन का पुरा में भी आजादी के बाद आज तक शमशान नहीं बन पाया. ऐसे में ग्रामीणों ने इस बार हिम्मत दिखाते हुए मतदान से पहले चुनाव बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया है. (MP Panchayat Election 2022) (Villagers boycotted election in bhind) (Panchayat Election boycott in Chhimka of Gohad tehsil of Bhind)
गोहद तहसील की छीमका ग्राम पंचायत के अंतर्गत 800 वोट वाले ग्राम कटन का पुरा में ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार करते हुए बेनर लटका दिया है, ग्रामीणों का कहना है कि "चुनाव बहिष्कार के पीछे दो मुख्य कारण हैं, पहला सड़क और दूसरा मुक्तिधाम."सड़क के लिए परेशान ग्रामीण: ग्रामीणों का कहना है कि "दशकों से गांव तक आने के लिए सड़क की कोई व्यवस्था नही थी, जब रेल की पटरी बिछाई गई तो एक अस्थाई रुप से कच्चा रास्ता बनाया. बाद में उस रास्ते के लिए रेलवे ने एक अंडर पास भी बना दिया, लेकिन ना तो पूर्व में सरपंच, ना ही विधायक, यहां तक की सांसद ने भी इस रास्ते को पक्का नहीं कराया. किसी अधिकारी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया, कई बार मंत्री और विधायकों से इस रास्ते को बनाने की मांग की गई लेकिन कहीं कोई सुनवाई नही हुई. कुछ साल पहले रेलवे ने अपने विस्तार में उस कच्चे रास्ते को खत्म कर दिया, अब ग्रामीण हर बरसात में अपने खर्चे पर उस रास्ते पर पत्थर और मुरम डलवाते हैं लेकिन रेलवे द्वारा उसे हर बार हटवा दिया जाता है. ऐसे में गांव तक आने के लिए कोई रास्ता नहीं बचता. ऐसे में हमारी मांग है कि सरकार और प्रशासन इसपर ध्यान दे और गांव के लिए एक सड़क बनवाए जिससे लोगों को आवागमन में परेशानी न हो."
इस गांव की दूसरी बड़ी और प्रमुख समस्या मुक्तिधाम की है, ग्रामीणों का कहना है कि "आजादी से बाद से आज तक इस गांव में मुक्तिधाम नहीं बनवाया गया, जिसकी वजह से लोग मुर्दों को अपने खेतों में जलाते हैं. बारिश के मौसम में हालात और भी खराब हो जाते हैं, कई लोग ऐसे हैं जो भूमिहीन हैं. अब तक तो भाईचारे में लोग एक-दूसरे के खेत में शव जलाने देते थे, लेकिन जिनके पास खुद की भूमि नहीं है वे आगे क्या करेंगे. गांव में मुक्तिधाम की आवश्यकता है और कई बार इस समस्या को रखने के बाद भी किसी ने कोई सुनवाई नहीं की गई. इसलिए मजबूरन अब विरोध करना पड़ रहा है और चुनाव बहिष्कार का फैसला लेना पड़ा है."विधनसभा और लोकसभा चुनाव का भी होगा बहिष्कार: ग्रामीणों ने यह भी कहा है कि इस चुनाव का बहिष्कार कर वे अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं करेंगे, तो वहीं गांव के युवाओं का कहना है कि "इतने वर्षों से गांव के लोग लोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया का हिस्सा बनते आएं, अपने वोट दिए लेकिन उसका क्या फायदा निकला. हर बार सिर्फ झूठे वादे किए गए इसलिए अबकी बार प्रशासन और नेताओं को चेताने के लिए पूरे गांव ने सर्वसम्मति से चुनाव के बहिष्कार का फैसला लिया है. यदि इस गांव में जल्द मुक्तिधाम और सड़क का निर्माण नहीं होगा, तो आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव का भी गांव के मतदाता बहिष्कार करेंगे