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मध्य प्रदेश के कुछ मदरसों में बाल तस्करी की बात सामने आने के बाद से हड़कंप मच गया है। इस मामले में अब पुलिस कमिश्नर से जांच की सिफारिश की गई है। आशंका जताई जा रही है कि चाइल्ड ट्रैफिकिंग के पीछे एक बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है। माना जा रहा है कि इस नेटवर्क के जरिए अलग-अलग जगहों से बच्चों को यहां लाया जा रहा है।
दरअसल हाल ही में एमपी में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की एक टीम ने राजधानी के कुछ मदरसों में जाकर जांच-पड़ताल की थी। इस जांच के बाद मदरसों में गड़बड़ी पाई गई है।
मदरसों की जांच में क्या मिला...
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आयोग के एक सदस्य बृजेश चौहान ने कहा है कि एक मदरसे में जांच टीम को बिहार के 2 बच्चे मिले। इनमें से किसी के भी माता-पिता के सहमति पत्र नहीं है। टीम को बताया गया है कि गांव के मुखिया ने बच्चों को ले जाने की अनुमित दी है। जांच में कुछ ऐसी बातें भी सामने आई हैं जिसे लेकर आयोग ने संदेह जताया है। मसलन -
- अधिकांश बच्चों की जन्मतिथि 1 जनवरी लिखी गई है
- शिक्षा से संबंधित कोई प्रमाण पत्र नहीं मिले-
- सभी बच्चे 9 से 15 साल के बीच के हैं
- नेपाल बॉर्डर से बच्चों को लाए जाने का शक
- कई मदरसे अवैध मिले हैं यानी उनका रजिस्ट्रेशन नहीं है
राज्य में करीब 400 रजिस्टर्ड मदरसे हैं। बता दें कि इसी महीने 11 जून को भोपाल के बैरागढ़ रेलवे स्टेशन से करीब 15 बच्चों को रेस्क्यू किया गया था। उनके साथ आए दो परिवारों ने कहा था कि इन बच्चों को यहां मदरसों में पढ़ाने के लिए लाए हैं। उसके बाद जांच की गई तो पता चला कि भोपाल के कई मदरसों में बड़ी संख्या में बिहार से लाए गए बच्चे रह रहे हैं।
अब होगी जांच
बाल आयोग ने ऐसी बातों को संदिग्ध मानकर राज्य के गृह सचिव और बिहार पुलिस से भी जांच के लिए कहा है। जांच कराने की सिफारिश पुलिस कमिश्नर से भी की गई है। कहा जा रहा है कि आयोग ने पुलिस कमिश्नर को 10 अलग-अलग बिंदुओं पर जांच करने के बाद रिपोर्ट मांगी है। इसके अलावा मदरसा बोर्ड से भी जानकारी मांगी गई है। पुलिस से भी स्थानीय तौर पर मदरसा की जानकारी मांगी गई है।