मध्य प्रदेश

राजधानी को मिलने जा रहा है कैंसर अस्पताल, जल्द ही पल्मोनरी मेडिसिन सेंटर में कीमोथेरेपी

Shantanu Roy
5 Aug 2022 11:36 AM GMT
राजधानी को मिलने जा रहा है कैंसर अस्पताल, जल्द ही पल्मोनरी मेडिसिन सेंटर में कीमोथेरेपी
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भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में गैस राहत विभाग के जहांगीराबाद स्थित रसूल अहमद सिद्दीकी पल्मोनरी मेडिसिन सेंटर को कैंसर अस्पताल बनाया जाएगा। प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बीते गुरुवार को गैस राहत अस्पताल की समीक्षा बैठक में ये सौगात राजधानी को देने का फैसला लिया है। मंत्री विश्वास सारंग ने गैस राहत विभाग के अधिकारियों के साथ गुरुवार को मंत्रालय में गैस राहत की विभागीय समीक्षा बैठक की। इसमें उन्होंने भोपाल गैस राहत के जहांगीराबाद में रसूल अहमद सिद्दीकी पल्मोनरी मेडिसिन सेंटर को कैंसर अस्पताल में तब्दील के निर्देश दिए। मंत्री सारंग ने कैंसर अस्पताल की योजना को जल्द से जल्द बनाने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए है।

गैस पीड़ित मरीजों का अब तक निजी अस्पतालों ने होता है इलाज

बता दें कि अभी गैस पीड़ित मरीजों को शासन से अनुबंधित निजी अस्पतालों में भेजा जाता है। इलाज में आने वाले खर्च का भुगतान गैस राहत विभाग की तरफ से होता है। ऐसे में सरकारी कैंसर अस्पताल बनकर तैयार हो जाता है तो यह राशि बचेगी। बैठक में मंत्री ने सभी छह गैस राहत अस्पताल, डिस्पेंसरी के भवनों की मरम्मत और जरूरी सुविधाओं के लिए 23 करोड़ 76 लाख रुपये मंजूरी दी है। अब तक भोपाल शहर में अभी अलग से कोई कैंसर अस्पताल नहीं है। हमीदिया में कैंसर के इलाज के नाम पर सिर्फ रेडियोथेरेपी दी जाती है। एम्स में भी कोई भी आंकोलाजिस्ट नहीं है। सिर्फ एक कैंसर का सर्जन हैं। ऐसे में एक कैंसर अस्पताल खुलना मरीजों के लिए संजीवनी से कम नहीं होगा।

अब तक इन अस्पतालों में होता है इलाज और ये है कैंसर के कारण

राजधानी के एम्स, जवाहरलाल नेहरू कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर अस्पताल में कैंसर का इलाज होता है। मगर कई बार निजी अस्पतालों से मरीजों के साथ लापरवाही होने की खबरें आती रहती है। वहीं बात करे कैंसर होने के कारणों की तो तंबाकू उत्पादों (गुटखा, खैनी, सिगरेट, बीड़ी) का सेवन, शराबखोरी, अनहेल्दी डाइट, शारीरिक असक्रियता, मोटापा, इन्फेक्शन, वायु प्रदूषण इत्यादि है। कई रिपोर्ट्स के मुताबिक यदि इनमें से कुछ कारणों पर भी नियंत्रण पा लिया जाए तो कैंसर रोगियों की संख्या 50 फीसदी तक कम की जा सकेगी।

Shantanu Roy

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