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भोपाल | मध्यप्रदेश में समर्थन मूल्य पर खरीदा गया करोड़ों रुपए का बीस हजार 584 मीट्रिक टन से अधिक अनाज सुरक्षा में लापरवाही के चलते खराब हो गया है। यह अनाज अब इंसानों के खाने योग्य नहीं बचा है। राज्य सरकार इसे बेचने जा रही है। राज्य सरकार हर साल हजारों क्विंटल गेहूं, मोटा अनाज और धान किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदती है। खरीदे गए अनाज का परिवहन और भंडारण राज्य नागरिक आपूर्ति निगम, मार्कफेड और राज्य भंडार गृह निगम तथा भारतीय खाद्य निगम मिलकर करते है।
अनाज खरीदने के बाद उसके रखरखाव और परिवहन और भंडारण में लापरवाही के कारण काफी नमीयुक्त, गीला अनाज रखे-रखे खराब हो गया। समय पर इसका उठाव नहीं हुआ और पिछले दो से चार सालों से रखा यह अनाज खराब हो गया। इसमें सौ टन चावल और बाकी गेहूं है। प्रदेश के दो दर्जन से अधिक जिलों में यह खराब अनाज भंडारित है। कई जगह तो गेहंू का आंटा बन गया है। खराब हो चुके इस गेहूं और चावल को अब इंसानों के खाने के इस्तेमाल में नहीं लिया जा सकता।
अनाज के खराब होंने से राज्य सरकार को 41 करोड़ 16 लाख रुपए से अधिक का नुकसान उठना पड़ा है। आपूर्ति निगम भंडारण एजेंसियों से इस नुकसान की वसूली करेगा। अब बचे हुए गेहूं और चावल के भंडारों को राज्य नागरिक आपूर्ति निगम बेचने जा रहा है।
जो अनाज खराब हुआ है उसमें फीड एक में 4 हजार 894 मीट्रिक टन, फीड दो में 9 हजार 657 मीट्रिक टन, फीड तीन में 4 हजार 742 मीट्रिक टन, 124 मीट्रिक टन औद्योगिक उपयोग के लायक बचा है और 1165.70 मीट्रिक टन अनाज खाद बनाने के उपयोग में लिया जा सकेगा। अलग-अलग श्रेणियों में इसे बेचने के लिए नागरिक आपूर्ति निगम ने खुले बाजार में निजी संस्थाओं से प्रस्ताव आमंत्रित किए है इन्हें बेचने से जो राशि मिलेगी उसे कम करते हुए शेष नुकसान की भरपाई इसके खराब होंने के लिए जिम्मेदार एजेंसियों से बसूल की जाएगी।
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