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जस्टिस एमएस भट्टी की एकलपीठ ने पीएचई विभाग में संविदा पर कार्यरत् कर्मियों के मामले का निराकरण करते हुए शासन को निर्देशित किया है, वे संविदा कर्मियों को सीधी भर्ती में 20 फीसदी आरक्षण देने पर विचार करें।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस एमएस भट्टी की एकलपीठ ने पीएचई विभाग में संविदा पर कार्यरत् कर्मियों के मामले का निराकरण करते हुए शासन को निर्देशित किया है, वे संविदा कर्मियों को सीधी भर्ती में 20 फीसदी आरक्षण देने पर विचार करें। इस निर्देश के साथ न्यायालय ने मामले का पटाक्षेप कर दिया।
हाईकोर्ट में यह मामला पीएचई विभाग में कार्यरत कर्मियों ने अधिवक्ता रामेश्वर सिंह की ओर से दायर किया था, जिसमें राहत चाही गई थी कि सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र 18 जून 2018 में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि शासन स्तर पर की जाने वाली समस्त प्रकार की सीधी भर्तियों में (क्लास वन तथा क्लास टू) को छोड़कर कम से कम 5 वर्ष से कार्यरत संविदा कर्मचारियों को 20 फीसदी आरक्षण का लाभ दिया जाएगा और उक्त आरक्षण का लाभ सिर्फ एक बार ही दिया जाएगा। इतना ही नहीं जिस पद पर संविदा पर हैं उस पद की 90 फीसदी सैलरी भी दी जाएगी।
मध्य प्रदेश के लगभग 38 विभागों में कार्यरत संविदा कर्मियों को कुछ विभागों द्वारा तो 90 फीसदी सैलरी दी जा रही है तथा कुछ विभागों में फिक्स सैलरी दी जा रही है। लेकिन शासन स्तर पर की जाने वाली सीधी भर्तियों में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा है। लोक सेवा आयोग द्वारा 2019, 2020 तथा 2021 की भर्तियों में भी संविदा कर्मियों को आरक्षण का लाभ नही दिया गया है । सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने शासन के पीएचई विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र का पालन 90 दिवस के अंदर सुनिश्चित करें।