झारखंड

उर्दू शिक्षक संघ ने सरकार पर लगाया आरोप, कहा- शिक्षक नियुक्ति में उर्दू की हो रही है उपेक्षा

Rani Sahu
7 Aug 2022 7:14 AM GMT
उर्दू शिक्षक संघ ने सरकार पर लगाया आरोप, कहा- शिक्षक नियुक्ति में उर्दू की हो रही है उपेक्षा
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उर्दू शिक्षक संघ ने सरकार पर लगाया आरोप
Ranchi : झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ ने आरोप लगाया कि झारखंड में लगातार उर्दू की उपेक्षा की जा रही है. बार-बार अधिकारियों को जानकारी देने के बावजूद उर्दू भाषा की अनदेखी की हो रही है. हाल में जारी झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा +2 स्कूलों में शिक्षक नियुक्ति के विज्ञापन में एक बार फिर उर्दू की उपेक्षा की गई है. यदि राज्य सरकार उर्दू की उपेक्षा का सिलसिला जारी रखती है और प्लस टू स्कूलों में उर्दू शिक्षकों का पद सृजित नहीं किया जाता है तो कोर्ट के शरण में जाया जायेगा.
संघ के महासचिव अमीन अहमद ने कहा कि पिछले वर्ष के माध्यमिक परीक्षा में हिन्दी के बाद यदि किसी विषय में सबसे अधिक विद्यार्थी सफल हुए हैं, तो वह उर्दू है. लगभग 29 हजार से अधिक विद्यार्थी उर्दू विषय लेकर उत्तीर्ण हुए हैं. हर वर्ष हजारों की संख्या में उर्दू बच्चे पास होते हैं. सरकार बताये कि ये सफल विद्यार्थी इंटर में उर्दू की शिक्षा कहां से ग्रहण करेंगे. जब इंटर में उर्दू शिक्षकों की बहाली ही नहीं होगी तो बच्चे अपनी शिक्षा कैसे ग्रहण करेंगे. उन्होंने कहा कि स्नातक, स्नात्कोत्तर में सभी विश्वविद्यालयों में उर्दू विषय शामिल है, केवल इंटर में उर्दू विषय को दरकिनार किया जा रहा है. ऐसे में बच्चों की शिक्षा का सिलिसला कैसे जारी रह सकता है.
संघ के प्रवक्ता शहजाद अनवर ने कहा कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष, शिक्षा सचिव के सभी अधिकारी व राज्य सरकार को इस पर गंभीर मंथन करे. यदि इस गंभीर मुद्दे पर संज्ञान नहीं लिया जाता है तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जायेगा. शिक्षक नियुक्ति के विज्ञापन पर रोक लगाने का आग्रह किया जायेगा. अमीन अहमद ने कहा कि झारखंड सरकार गठन के बाद ऐसा लगा था कि उर्दू विद्याथिर्यों के हितार्थ उर्दू शिक्षा में सुविधाएं दी जाएंगी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. जो सुविधाएं पूर्व से थीं, उसे भी छीना जा रहा है. अफसर लगातार उर्दू की अवहेलना कर रहे हैं. सरकार मूकदर्शक बनी देख रही है. झारखंड में उर्दू द्वितीय राज राजभाषा है, लेकिन उसमें शिक्षक की नियुक्ति नहीं हो रही है. झारखंड बने 22 साल हो गये है. अब भी उर्दू के पद सृजित नहीं किये गये हैं.

सोर्स- Newswing

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