गढ़वा जिले के बरवाही के राजनाथ उरांव ने बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के अध्यक्ष को आवेदन देकर अपने चार बेटे-बेटियों समेत छह बच्चों को मुक्त कराने की गुहार लगाई है।
आंध्र प्रदेश के एक स्कूल में नामांकन कराने वाले गढ़वा जिले के रंका गांव के छह बच्चों को बंधक बनाने का मामला सामने आया है। इन बच्चों को स्कूल की फीस नहीं भरने की वजह से बंधक बनाया गया है, जबकि इन बच्चों के परिजनों का कहना है कि उन्हें बताया गया था कि यहां मुफ्त पढ़ाई होगी।
बरवाही के राजनाथ उरांव ने गढ़वा बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के अध्यक्ष को आवेदन देकर अपने चार बेटे-बेटियों समेत सभी छह बच्चों को मुक्त कराने की गुहार लगाई है। उनके आवेदन पर सीडब्ल्यूसी ने आंध्र प्रदेश की चाइल्ड लाइन को बंधक बच्चों के बारे में जानकारी दी है।
राजनाथ ने आवेदन में बताया है कि रेहला की सोमलता तिवारी ने उनसे संपर्क कर अच्छे स्कूल में बच्चों के नामांकन और स्नातक तक मुफ्त शिक्षा का झांसा दिया था। उसने बताया था कि चेन्नई में एक अनाथ बच्चों का अंग्रेजी मीडियम स्कूल है जो मुफ्त शिक्षा देता है। सिर्फ नामांकन के लिए प्रति बच्चा 50 हजार रुपये देने होंगे।
इसके बाद उन्होंने सोमलता को पैसे दे दिए। रुपये लेने के बाद बच्चों को चेन्नई नहीं भेजकर आंध्र प्रदेश के समलकोट भेज दिया गया। दाखिले के समय बताया गया कि यहां मुफ्त शिक्षा दी जाती है। कुछ दिन बाद जब वह बच्चों को लेने गए तो उनसे फीस मांगी गई। स्कूल प्रबंधन ने फीस लिए बिना बच्चों को छोड़ने से मना कर दिया। बंधक बच्चों में राजनाथ की बेटी रीता, अमृता, पुत्र अमित और आशीष मिंज के अलावा उनके भाई कन्हाई उरांव का बेटा विवेक और जेठू मांझी की बेटी सुशीला शामिल है।