कोडरमा. डिजिटल दुनिया में हर हाथ में मोबाइल फोन है. मोबाइल फोन से बात तो होती ही है, साथ में देश, दुनिया के किसी भी कोने तक एक क्लिक से पलक झपकते ही संपर्क हो जाता है. लेकिन कोडरमा जिले में एक ऐसा गांव भी है, जहां लोग कॉल करने के लिए चौखट की दहलीज पार कर ऊंची जगह या टापू चढ़ते हैं. मोबाइल का रिंगटोन यहां के लोगों को शहनाई की गूंज से भी प्यारा लगता है.
कोडरमा जिले के डोमचांच प्रखण्ड अंतर्गत बंगाखलार पंचायत में जंगल- पहाड़ से घिरे कई गांव-टोले हैं. इनमें ज्यादातर गांवों में मोबाइल नेटवर्क नहीं रहता है. मजबूरी में ग्रामीणों को मोबाइल लेकर टापू पर या ऊंचे स्थान पर कॉल करने या कॉल सुनने के लिए दौड़ लगानी पड़ती है.
बंगाखलार पंचायत के इस गांव में कॉल आने-जाने के लिए लोग अपना मोबाइल घर से बाहर रखते हैं, ताकि मोबाइल का रिंगटोन बजे तो कॉल करने के लिए टापू या ऊंची स्थान पर जा सकें. यहां के बच्चे कार्टून या वीडियो को ऑनलाइन नहीं देख पाते, इसलिए नेटवर्क वाले जगह पर जाकर वीडियो डाउनलोड कर बाद में इत्मीनान से देख कर अपना मनोरंजन करते हैं.
गांव की महिलाएं और ग्रामीणों का हर दिन गांव के एक ऊंची जगह पर छायादार पेड़ के नीचे जमावड़ा लगता है, जहां मोबाइल नेटवर्क रहने पर कॉल कर अपने सगे-संबधियों से बातचीत करते हैं. ये नजारा हर दिन देखने को मिलता रहता है. सहिया दीदी के रूप में काम करने वाली सुनीता का कहना है कि इमरजेंसी में एम्बुलेंस बुलाने में काफी दिक्कत होती है. प्रसव दर्द से कराहती महिला को लेट लतीफी होने पर गाड़ी में ही प्रसव कराने का इंतजाम रखना पड़ता है.
इस गांव में मोबाइल नेटवर्क बड़ी समस्या तो है ही, यहां के लोगों को पीने का पानी के लिए भी काफी मशक्कत करनी पड़ती हैं. गांव के एक कुआं ग्रामीणों की प्यास बुझाती है. इस इलाके में सरकारी चापाकल तो है, लेकिन इनमें वाटर लेवल काफी नीचे होने के कारण चापाकल से पानी नहीं निकलता.
कोडरमा जिले के बंगाखलार पंचायत के इस गांव में रहने वाले ग्रामीण मोबाइल नेटवर्कऔर पीने के पानी से परेशान है. अब देखना लाजिमी होगा इन गांवों में मोबाइल नेटवर्क और पेयजल आपूर्ति की समस्या से जूझ रहे ग्रामीणों की समस्या का समाधान सरकार कब तक करती है.