x
घाटशिला अनुमंडल के ओडिशा सीमा से सटे गुड़ाबांदा और डुमरिया में वर्ष 2000 से नक्सली ( पीपुल्स वार) की गतिविधियां शुरू हो गयी थीं
Dumaria : घाटशिला अनुमंडल के ओडिशा सीमा से सटे गुड़ाबांदा और डुमरिया में वर्ष 2000 से नक्सली ( पीपुल्स वार) की गतिविधियां शुरू हो गयी थीं. तब तक गुड़ाबांदा के जियान के कान्हु मुंडा और पुटू मुंडा समेत कई युवक और युवतियां नक्सली संगठन में शामिल हो चुके थे. डुमरिया प्रखंड क्षेत्र के भी महेश्वर मुर्मू समेत कई युवक और युवतियां नक्सली संगठन में शामिल हो चुके थे. नक्सली गतिविधियों को देखते हुए जमशेदपुर के तत्कालीन एसपी डॉ अरुण कुमार उरांव ने नक्सलियों की नकेल कसने के लिए नागरिक सुरक्षा समिति गठित करने की पहल की. 31 मार्च 2003 को डुमरिया के भागाबांधी हाट हाट मैदान में हुई बैठक में नागरिक सुरक्षा समिति का गठन हुआ.
शंकर अध्यक्ष व धनाई महासचिव बनाए गए थे
शंकर चंद्र हेंब्रम समिति के अध्यक्ष बने और धनाई किस्कू महासचिव बनाए गए. इसके बाद नक्सलियों के खिलाफ एक अभियान शुरू हुआ. और 25 – 26 मई की रात सैकड़ों नक्सलियों ने गुड़ाबांदा थाना पर हमला कर दिया. पांच घंटे तक दोनों पक्ष से गोलियां चली. इस हमला में खाना की रसोईया शांति देवी की मौत हो गई.इसके बाद पुलिस और नागरिक सुरक्षा समिति नक्सलियों के खिलाफ योजनाबद्ध तरीके से जुट गए. और आखिरकार 7- 8 अगस्त 2003 की रात डुमरिया से लांगो गांव में नक्सली मात खा गए. ग्रामीणों ने 9 नक्सलियों सेंदरा कर दिया यानी की मौत के घाट उतार दिया और हथियार भी ले लिए. नक्सलियों के खून से लांगो की धरती लाल हो उठी. नक्सली इतिहास की यह पहली घटना थी जिसमें 9 नक्सली ग्रामीणों के द्वारा मार डाले गए. इस घटना ने लांगो गांव को देश में चर्चित बना दिया. नक्सली संगठन को झंकझोर कर रख दिया. लांगों के ग्रामीणों ने नक्सलियों की ताबूत में पहली कील ठोक दी. तब डुमरिया थाना के थानेदार आनंद मिश्रा थे. ग्रामीणों की वीरता को सलाम करने तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा समेत कई मंत्री लांगो आए. झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन ने भी लांगो आकर ग्रामीणों की इस वीरता को सलाम किया. यहां के ग्रामीण हर साल 8 अगस्त को सेंदरा दिवस मनाते हैं और वीरता का गीत गाकर नाचते गाते हैं.
by Lagatar News
Rani Sahu
Next Story