झारखंड

झारखंड: बेड से बांध कर वार्ड से बाहर चले गए थे दोनों जवान, मेडिकल कॉलेज अस्पताल से बंदी फरार

Kajal Dubey
16 July 2022 10:19 AM GMT
झारखंड: बेड से बांध कर वार्ड से बाहर चले गए थे दोनों जवान, मेडिकल कॉलेज अस्पताल से बंदी फरार
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मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मेल मेडिसिन वीआईपी वार्ड से जोड़ापोखर थाना क्षेत्र के जेलगोरा निवासी बुधन हाड़ी (24) नामक बंदी फरार हो गया। घटना गुरुवार रात 2 बजे से शुक्रवार की सुबह 4 के बीच की है। बंदी को रस्सी के सहारे बेड से बांध कर उसके साथ आए दोनों जवान वार्ड से बाहर चले गए थे। इसी का फायदा उठाकर बंदी भाग निकला।
सुबह जब दोनों जवान वार्ड में लौटे तो बंदी अपने बेड पर नहीं था। इसके बाद उसकी पूरे अस्पताल में खोजबीन की गई। बावजूद उसका कोई पता नहीं चल पाया। वार्ड में भर्ती अन्य मरीजों के अनुसार बंदी बुधन को वीआईपी वार्ड के बेड संख्या 4 पर गुरुवार की रात लगभग 10 बजे भर्ती कराया गया था।
अस्पताल के रजिस्टर में इसकी एंट्री भी की गई थी। उसके साथ पुलिस के दो जवान थे। भर्ती कराने के थोड़ी देर बाद बंदी को रस्सी के सहारे बेड से बांधकर दोनों जवान वार्ड से बाहर चले गए। बंदी के बगल में बेड संख्या 3 पर भर्ती गिरिडीह निवासी मरीज के परिजन राजेंद्र व कालावती एवं बेड संख्या 5 पर भर्ती झरिया निवासी मरीज के परिजन मितन साधु के अनुसार बंदी को भर्ती कराने के बाद बाहर गए दोनों जवान देर रात तक वार्ड में वापस नहीं आए थे।
रात 2 बजे तक बंदी अपने बेड पर था। इसके बाद वे लोग सो गए। सुबह लगभग 4 बजे उनकी नींद खुली। उस समय बंदी अपने बेड पर नहीं था। वह भाग चुका था और बेड खाली पड़ा हुआ था। कुछ देर बाद पुलिस के दोनों जवान वहां पहुंचे। बंदी को नहीं देख कर दोनों परेशान हो गए और वहां पूछताछ करने लगे। हालांकि वार्ड में किसी को बंदी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
पहले भी भाग चुके हैं बंदी
इस मेडिकल कॉलेज अस्पताल से बंदियों के भागने की घटना अक्सर होती रहती है। इसके पहले भी यहां से कई बंदी भाग चुके हैं। कई पुलिसवालों पर इसको लेकर कार्रवाई भी हुई है। बावजूद बंदी की निगरानी में तैनात जवानों द्वारा लापरवाही बरती जाती है।
नहीं है बंदी वार्ड
560 बेड वाले इस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अभी तक बंदी वार्ड नहीं बनाया गया है। जब भी कोई बंदी यहां से भागता है, जिला प्रशासन, पुलिस और अस्पताल प्रबंधन बंदी वार्ड बनाने की चर्चा शुरू कर दी है और समय के साथ मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है। नतीजा बंदी आम मरीजों के साथ भर्ती किए जाते हैं। यहां यही व्यवस्था चल रही है।
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