रांची : झारखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नीरज सिन्हा के खिलाफ एक अवमानना याचिका पर उच्चतम न्यायालय दो अगस्त को सुनवाई करेगा। नीरज सिन्हा पर आरोप है कि वो 31 जनवरी को सेवानिवृत्त हो जाने के बाद भी राज्य में पुलिस के शीर्ष पद (डीजीपी) पर अवैध रूप से काबिज हैं। अवमानना याचिका में झारखंड सरकार को भी एक प्रतिवादी बनाया गया है।
झारखंड DGP के उम्र से जुड़ा मामला
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ को वरिष्ठ अधिवक्ता अनुपम लाल दास ने बताया कि विषय का उल्लेख कई बार किया गया है और इसे नजदीकी तिथि पर सूचीबद्ध किया जाए। पीठ ने कहा कि वह दो अगस्त को विषय पर सुनवाई करेगी और दास के अनुरोध के बाद इसे सूचीबद्ध कर दिया।
अवैध रूप से पद पर हैं नीरज सिन्हा?
वरिष्ठ अधिकवक्ता ने शुरुआत में कहा, 'यह विषय झारखंड के डीजीपी के पद पर अवैध रूप से बने रहने से संबद्ध है। ये प्रकाश सिंह मामले में न्यायालय के पूर्व के फैसले का उल्लंघन है।' इससे पहले, 13 अप्रैल को प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा था कि विषय को उपयुक्त पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा।
दो साल से केस लड़ रहे राजेश कुमार
शीर्ष न्यायालय ने झारखंड निवासी राजेश कुमार की ओर से राज्य सरकार, इसके अधिकारियों और संघ लोक सेवा आयोग के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर 14 जुलाई 2021 को नोटिस जारी किया था। बाद में, अवमानना याचिका में नीरज सिन्हा को भी पक्ष बनाया गया।