झारखंड

समान काम के लिए मिलना चाहिए समान वेतन : JAPCA

Rani Sahu
28 July 2022 11:25 AM GMT
समान काम के लिए मिलना चाहिए समान वेतन : JAPCA
x
समान काम के लिए मिलना चाहिए समान वेतन

Hazaribagh: झारखंड असिस्टेंट प्रोफेसर कॉन्ट्रेक्चुअल एसोसिएशन (JAPCA) से जुड़े प्राध्यापकों ने अपनी मांगों के समर्थन में आवाज तेज कर दी है. प्राध्यापकों ने मुख्य रूप से चार मांगों को लेकर सरकार से गुहार लगाई है. इसे जल्द पूरा करने की मांग की है.

जब काम एक जैसा है, तो भेदभाव क्यों : डॉ मिथिलेश
झारखंड असिस्टेंट प्रोफेसर कॉन्ट्रेक्चुअल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष सह मार्खम कॉलेज के प्राध्यापक डॉ मिथिलेश कुमार कहते हैं कि वे लोग भले ही घंटी आधारित नौकरी करते हैं, लेकिन विद्यार्थियों को पढ़ा तो रहे हैं. जब काम एक जैसा कर रहे हैं, तो फिर भेदभाव क्यों ? उनलोगों को भी अन्य व्याख्याताओं की तरह समान वेतनमान मिलना चाहिए. उनलोगों को भी नियमित करते हुए सरकार वेतनमान दे. साथ ही अन्य सुविधाएं भी मिलनी चाहिए, जो स्थायी व्याख्याताओं को दी जाती है. अगर ऐसा नहीं होगा, तो हक के लिए लड़ाई जारी रखेंगे.
घंटी आधारित प्राध्यापक सौ फीसदी परिश्रम करते हैं : राजेश
संत कोलंबा कॉलेज के प्राध्यापक राजेश कुमार कहते हैं कि यूजीसी रेगुलराइजेशन 2018, जिसे 2021 में अंगीकृत किया गया है, उसमें संशोधन बंद करते हुए पहले उनलोगों को रेगुलाइज किया जाना चाहिए. घंटी आधारित प्राध्यापक भी सौ फीसदी परिश्रम कर रहे हैं. कॉलेज में समय देने के लिए तैयार हैं. वे लोग तो चाहते हैं कि पूरी कक्षा मिले. लेकिन न तो उन्हें पूरी कक्षा मिलती है और न ही पारिश्रमिक बढ़ पाता है.
परिवार चलाने की स्थिति में नहीं हैं : नितीन नीरज
मार्खम कॉलेज ऑफ कॉमर्स हजारीबाग के घंटी आधारित प्राध्यापक नितीन नीरज कहते हैं कि इस नौकरी से परिवार चलाने की स्थिति में भी नहीं हैं. काफी कम पैसे मिलते हैं और दो-चार घंटी से क्या होनेवाला है. ऐसे में कॉलेज में काम करके भी प्रोफेसर वाला बोध नहीं होता है. ऐसा लगता है कि वे लोग सामान्य व्याख्याताओं से अलग हैं. उनलोगों के रेगुलाइजेशन के लिए परिनियम बनाने की जरूरत है और उसे जमीनी अमलीजामा पहनाने की भी. सरकार उनलोगों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. यही वजह है कि आज एसोसिएशन को आंदोलन पर उतरना पड़ा है.
घंटी आधारित प्राध्यापक बताने में शर्म आती है : रूपम
मार्खम कॉलेज ऑफ कॉमर्स हजारीबाग की घंटी आधारित प्राध्यापक रूपम सिंह कहती हैं कि कहीं बताने में भी शर्म आती है कि उन्हें घंटी के अनुसार पैसे मिलते हैं. इससे उनका सिर्फ पॉकेट खर्च और थोड़ा-बहुत काम हो पाता है. रेगुलराइजेशन होने तक यूजीसी ग्रेड पे या ग्रौस सैलेरी के अनुसार फिक्सेशन होने की जरूरत है. सरकार को प्राध्यापकों में भेदभाव नहीं करना चाहिए. सभी प्राध्यापक एक समान वेतनभोगी हों, यही वे लोग चाहते हैं. घंटी आधारित क्लास की परंपरा बंद कर स्थायी सेवा करने की आवश्यकता है.
सरकार की दोहरी नीति नहीं चलेगी : अवंतिका
केबी महिला महाविद्यालय हजारीबाग की घंटी आधारित प्राध्यापक अवंतिका कहती हैं कि टर्मिनेट किए गए व्याख्याताओं की नौकरी वापस होनी चाहिए. एक तो सरकार उनकी मांगों को अनसुना कर रही है, ऊपर से टर्मिनेट कर कार्रवाई कर रही है. जहां सेवा स्थायी होनी चाहिए, वहां प्राध्यापकों को हटाया जा रहा है. सरकार की यह दोहरी नीति सही नहीं है. एसोसिएशन को सरकार के अड़ियल रूख के कारण आंदोलन की राह पकड़नी पड़ी. सरकार प्राध्यापकों की समस्याओं का निराकरण करेगी, तभी उनके साथ न्याय होगा और वे सौ फीसदी व समर्पित भाव से पढ़ा पाएंगे.

by- Lagatar News

Rani Sahu

Rani Sahu

    Next Story