नई दिल्ली. केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) यानी ईडी की टीम जल्द ही झारखंड के 'साहेबगंज टेंडर घोटाला' मामले में बरहेट के आरोपी विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा (Pankaj Mishra) को गिरफ्तार कर सकती है. आरोपी पंकज मिश्रा को मंगलवार को रांची स्थित जोनल ऑफिस (ED office, Ranchi Zone) में पूछताछ के लिए बुलाया गया है. सुबह तकरीबन 11 बजे पंकज मिश्रा ईडी के अधिकारियों के सामने पूछताछ के लिए पेश हुए.
बता दें कि पंकज मिश्रा को झारखंड की राजनीतिक और ब्यूरोक्रेसी गलियारों में काफी चर्चित शख्स के तौर पर पहचाना जाता है. कुछ दिनों पहले ही विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा सहित कई सहयोगियों और साहेबगंज के कई अवैध माइनिंग करनेवाले पत्थर कारोबारियों के लोकेशन पर ईडी ने छापेमारी की थी. इस छापेमारी के दौरान करोड़ों रुपए की नकदी, करोड़ों रुपए के अवैध लेनदेन संबंधित दस्तावेज और अवैध प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट जब्त किए गए थे. इसी मामले में कई अन्य आरोपियों के बयान भी ईडी दर्ज कर चुकी है.
सूत्रों के मुताबिक, जिस तरह से पिछले कुछ महीनों में काफी महत्त्वपूर्ण सबूतों, फोरेंसिक सबूतों, कई सरकारी अधिकारियों/कर्मचारियों के बयान और अवैध रूप से अर्जित की गई करोड़ों रुपए के संदिग्ध लेनदेन के दस्तावेज ईडी के हाथ लगे हैं, उसके आधार पर जल्द ही गिरफ्तारी संभव हो सकती है. जिस तरह से पंकज मिश्रा समेत कई अन्य आरोपियों के खिलाफ काफी महत्त्वपूर्ण सबूत और बयान जुटाए गए हैं, उसके आधार पर मंगलवार या बुधवार तक गिरफ्तारी की संभावना बढ़ती हुई प्रतीत हो रही है. पिछले काफी समय से आरोपी पंकज मिश्रा ईडी की जांच में पूर्ण तौर पर सहयोग नहीं कर रहे हैं. असहयोगात्मक रवैया भी उनकी गिरफ्तारी की वजह बन सकता है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा पहली बार उस वक्त काफी चर्चा में आए, जब साहेबगंज जिला अंतर्गत बरहरवा थाने में एक टेंडर विवाद का केस दर्ज किया गया. यह मामला जून 2020 का है. दरअसल इस मामले में शिकायतकर्ता शंभु नंदन कुमार उर्फ शंभु भगत ने काफी विस्तार से शिकायत दर्ज करवाते हुए पंकज मिश्रा समेत कई अन्य आरोपियों पर कई गंभीर आरोप लगाए थे. आरोप के मुताबिक, झारखंड सरकार में मंत्री आलमगीर आलम और पंकज के इशारे पर साहेबगंज टेंडर मसले को अंजाम दिया गया. हालांकि बाद में उन दोनों आरोपियों को स्थानीय थाने से तफ्तीश के बाद क्लीनचिट दे दिया गया. उस वक्त शिकायत करने वाले शख्स शंभु नंदन ने यह भी आरोप लगाया कि झारखंड में मंत्री आलमगीर आलम के भाई की कंपनी नगर पंचायत बरहरवा में वाहन प्रवेश शुल्क वसूली (Toll tender) के टेंडर में शामिल थी. लेकिन उस वक्त टेंडर प्रणाली में एक डमी कंपनी (shail Company) की एंट्री हुई और करीब 5 करोड़ रुपए की बोली लगवा दी गई. लेकिन उसी कंपनी ने जब पैसा जमा नहीं किया, तब दूसरी बोली आलमगीर आलम से संबंधित कंपनी के द्वारा मात्र एक करोड़ 46 लाख रुपए में लगवाने के बाद उसका ठेका ले लेने का प्रयास किया गया. हालांकि शिकायतकर्ता शंभु ने उस वक्त एक करोड़ 80 लाख रुपए में ठेका ले लिया.