झारखंड

CM ने संविदा के आधार पर चयनित 217 आयुष प्रक्षेत्र के सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों को बांटे नियुक्ति पत्र

Shantanu Roy
24 Aug 2022 10:09 AM GMT
CM ने संविदा के आधार पर चयनित 217 आयुष प्रक्षेत्र के सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों को बांटे नियुक्ति पत्र
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रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर करने की दिशा में हमारी सरकार निरंतर आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री ने आज झारखंड मंत्रालय स्थित सभागार में स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग अंतर्गत झारखंड आयुष प्रक्षेत्र के संविदा आधारित चयनित सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों का नियुक्ति प्रमाण पत्र वितरण समारोह में कहा कि प्रदेश में यूनानी, आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक चिकित्सा प्रक्षेत्र में पढ़ाई सुनिश्चित हो इसके लिए राज्य सरकार कटिबद्ध है।
ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को भी आयुष चिकित्सा पद्धति का लाभ मिल सके इसके लिए आज 217 आयुष प्रक्षेत्र के डॉक्टरों को अनुबंध आधारित नियुक्ति पत्र मिला है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं समझता हूं कि यूनानी, आयुर्वेदिक एवं होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है जब आधुनिक तकनीकी चिकित्सा पद्धति की परिकल्पना नही हुई थी तब से यह पद्धति चली आ रही है। निश्चित रूप से राज्य में स्वास्थ्य क्षेत्र लिए आज ऐतिहासिक दिन है। इस अवसर पर सोरेन ने उपस्थित आयुष प्रक्षेत्र के सभी नवनियुक्त डॉक्टरों को बधाई एवं उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दीं। मुख्यमंत्री ने सभी नवनियुक्त आयुष डॉक्टर्स के प्रति भरोसा जताते हुए कहा कि आप जहां भी कार्यरत रहेंगे वहां अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन पूरी ईमानदारी और कर्मठता से करेंगे ऐसा मुझे विश्वास है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आयुष चिकित्सा पद्धति आज भी उतनी ही प्रभावी है, जितनी प्राचीन काल में थी, विशेषकर झारखंड प्रदेश के लिए आयुष एक बेहतर चिकित्सा पद्धति साबित हो सकती है। आयुष पद्धति जल, जंगल, जमीन, पठार, नदी- नाले और पहाड़ से घिरे इस आदिवासी बाहुल्य प्रदेश के लिए खास मायने रखती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां के लोगों का प्रकृति से गहरा जुड़ाव रहा है और प्राकृतिक तरीके से वे इलाज कराते आ रहे हैं। ऐसे में आज के समय में आयुष चिकित्सा पद्धति यहां के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इस पद्धति से छोटी-बड़ी बीमारियों का तो इलाज होता ही है। इसके साथ बेहतर स्वास्थ्य जीवन और शरीर को तंदुरुस्त रखने के प्राकृतिक तौर-तरीकों को हम जानते तथा सीखते हैं। यह चिकित्सा पद्धति पहले भी प्रभावी थी, आज भी है और आगे भी रहेगी।
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