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राज्य में जनजातीय व्यक्तियों वाले ब्लॉकों में आदर्श एकलव्य स्कूलों (EMRS) के निर्माण की गति धीमी है
Ranchi : राज्य में जनजातीय व्यक्तियों वाले ब्लॉकों में आदर्श एकलव्य स्कूलों (EMRS) के निर्माण की गति धीमी है. जनजातीय कार्य मंत्रालय ने राज्य में 88 ईएमआरएस को स्वीकृति दी है. मंत्रालय के मुताबिक प्रत्येक स्कूल के निर्माण को पूरा करने की औपचारिक मंजूरी दिये जाने के बाद उसे पूरा किये जाने की अपेक्षित सामान्य अवधि करीब 2 वर्ष की होती है. पर झारखंड में करीब 50 फीसदी ईएमआरएस के निर्माण का काम 8 सालों से भी अधिक समय से अटका पड़ा है. प्रोजेक्ट निर्माण में कतिपय कारणों से देरी के चलते जनजातीय समाज के बच्चों को इसका लाभ तरीके से नहीं मिल पा रहा है.
इन जिलों में यह है स्थिति
सांसद सुनील कुमार सिंह ने लोकसभा के मॉनसून सत्र में झारखंड में ईएमआरएस की स्थिति, प्रगति, विलंब के मसले पर सरकार से सूचना मांगी. इस पर जनजातीय कार्य राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरूता ने बताया कि विभिन्न जिलों में ईएमआरएस का निर्माण कार्य विलंब से चलने के कारण वे फंक्शनल नहीं हो सके हैं. 2014-15 में कान्हाचट्टी (चतरा) में ईएमआरएस के लिये स्वीकृति दी गयी थी जो गैर कार्यात्मक है. टुंडी (धनबाद) में 2018-19 की अवधि में स्वीकृति मिली थी जो अब तक तैयार नहीं हो सका है.
दुमका में गोपीकांदर, काठीकुंड, मसलिया, शिकारीपाड़ा में (2014-15 से 2022-23) स्वीकृति दी गयी जिनमें से सभी गैर कार्यात्मक (फंक्शनल नहीं) हैं. पूर्वी सिंहभूम के बहरागोड़ा, धालभूमगढ़, डुमरिया, गुराबांधा, पोटका में भी यही स्थिति है. गढ़वा के भंडरिया, गिरिडीह के पीरटांड़, गुमला के अल्बर्ट एक्का जारी,, भरनो, चैनपुर, डुमरी, घाघरा, गुमला, कामडारा, पालकोट, रायडीह, सिसई में यही तस्वीर है.
जामताड़ा में फतेहपुर (2016-17), खूंटी में अड़की (तमाड़ 2), कर्रा, खूंटी, मुरहू, रनिया, तोरपा, लातेहार में बरवाडीह, गारू, लातेहार, महुआडांड, लोहरदगा जिले में भंडरा, कैरो, किस्को, पेशरार, सेन्हा, पाकुड़ में अमरापाड़ा, लिट्टीपाड़ा, पाकुड़िया, मनातु, रांची में अनगड़ा, बेड़ो, बुढ़मू, चान्हो, लापुंग, मांडर, नगड़ी, नामकुम, साहेबगंज में बोरियो, मंदरो, पाथना, तालझारी, सरायकेला खरसावां में कुचई, नीमडीह, राजनगर (गोविंदपुर), सिमडेगा में बानो, बांसजोर, बोलबा, जलडेगा, कोलेबिरा, पाकरटांड़, सिमडेगा, ठेठईटांगर में ईएमआरएस के निर्माण का कार्य अब तक जारी ही है. पश्चिमी सिंहभूम में आनंदपुर, बंदगांव, चाईबासा, गोइलकेरा, गुदड़ी, हाट गम्हरिया, झींकपानी, कुमारडुंगी, मझगांव, मांझारी, मनोहरपुर, नोआमुंडी, सोनुआ, तांतनगर और टोंटो में इसके निर्माण का कार्य प्रगति पर है.
क्या कर रही सरकार
केंद्र के मुताबिक ईएमआरएस की स्थापना में देरी का मुख्य कारण इसके निर्माण के लिये संबंधित राज्य सरकार द्वारा सभी तरह की भार ग्रस्तताओं से मुक्त उपयुक्त भूमि की पहचान और आवंटन में देरी है. इसे देखते राज्यों को स्कूलों को शुरू करने को जल्द से जल्द स्वीकृत स्थलों में वैकल्पिक भवनों की पहचान करने की सलाह दी गयी है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ईएमआरएस के निर्माण में देरी के कारण जनजातीय बच्चों की पढ़ाई का हर्जा ना हो.
सोर्स- News Wing
Rani Sahu
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