झारखंड

राष्ट्रपति चुनाव में 18 में से 10 विधायकों ने कर दी क्रॉस वोटिंग

Admin4
22 July 2022 11:09 AM GMT
राष्ट्रपति चुनाव में 18 में से 10 विधायकों ने कर दी क्रॉस वोटिंग
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रांची: राष्ट्रपति चुनाव में झारखंड कांग्रेस के 18 में से 10 विधायकों द्वारा क्रॉस वोटिंग करने की बात सामने आयी है। इस चुनाव में झारखंड विधानसभा के निर्वाचित 81 में से 80 विधायकों ने मतदान में हिस्सा लिया था और जेएमएम के द्रौपदी मुर्मू को समर्थन दिये जाने के निर्णय के कारण यह तय माना जा रहा था कि राज्य में 80 में से 60 विधायकों का समर्थन एनडीए प्रत्याशी को मिलेगा। लेकिन मतगणना के बाद चुनाव परिणाम में यह बात सामने आयी है कि द्रौपदी मुर्मू को 70 विधायकों ने वोट दिया, जबकि विपक्ष के साक्षा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को महज 9 विधायकों का वोट मिला और एक वोट निरस्त किया गया।

द्रौपदी मुर्मू को 60 वोट मिलना था, 10 अधिक मिले

झारखंड में दलीय स्थिति के अनुसार बीजेपी के 25 विधायकों के अलावा जेएमएम के 30, आजसू पार्टी के 2, एनसीसी के 1 और 2 निर्दलीय वोटों के अनुसार द्रौपदी मुर्मू को पहले से ही 60 वोट मिलने का उम्मीद था। जबकि कांग्रेस के 18, आरजेडी के 1 और भाकपा-माले के 1 विधायक ने यशवंत सिन्हा को वोट करने की बात कही थी। परंतु मतगणना के बाद यह साफ हो गया है कि कांग्रेस के 10 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग किया। वहीं एनडीए ने यूपीए के 20 वोट में आधे झटक लिये। हालांकि इस बात की भी संभावना से इंकान नहीं किया जा सकता कि आरजेडी के 1 और भाकपा-माले के एक वोट भी क्रॉस वोटिंग हुए और एक वोट रद्द हुए।

पूर्व राज्यपाल के रूप में काम करना रहा लाभदायक

द्रौपदी मुर्मू को उम्मीद के अनुरूप ना सिर्फ बीजेपी-आजसू पार्टी और जेएमएम समेत अन्य समर्थक विधायकों का वोट मिला, वहीं पूर्व राज्यपाल के रूप में काम करने से द्रौपदी मुर्मू का सभी राजनीतिक दलों के प्रमुख नेताओं और विधायकों से भी पुराना परिचय रहा था, इसका भी लाभ उन्हें चुनाव में मिला। द्रौपदी मुर्मू को झारखंड में छह साल से अधिक राज्यपाल के रूप में काम करने का अवसर मिला।

कांग्रेस में हलचल बढ़ी

इधर, झारखंड कांग्रेस के करीब 10विधायकों द्वारा पार्टी लाइन के विपरीत जाकर क्रॉस वोटिंग किये जाने से हलचल बढ़ गयी है। इसे झारखंड कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडेय और प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के नेतृत्व की विफलता के रूप में देखा जा रहा हैं। वहीं आने वाले समय में कांग्रेस के आधे से अधिक विधायकों की नाराजगी क्या स्वरूप लेगा, यह कांग्रेस नेतृत्व के लिए एक सोचनीय है। वहीं बीजेपी खेमा इस सफलता को आने वाले समय में झारखंड में राजनीतिक बदलाव का संकेत मान रहा है।

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