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लापरवाही या संवेदनहीनता ?
Giridih : जिले में नर्सिंग होम और निजी प्राइवेट क्लीनिकों के निबंधन और निगरानी के लिए गिरिडीह में 6 सदस्य डीआरए (डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी) का गठन 4 साल पूर्व ही किया जाना था. लेकिन चार साल बाद भी डीआरए कमिटी का कोई अता पता नहीं. दिसंबर 2018 में स्वास्थ्य विभाग झारखंड सरकार के पत्रांक 140 (10) के तहत स्वास्थ्य चिकित्सा, शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव के निर्देश पर जिले में डीआरए का गठन किया जाना था. कमेटी में डीसी के अलावा सिविल सर्जन, पुलिस अधीक्षक या उनके द्वारा मनोनीत प्रतिनिधि, जिला परिषद अध्यक्ष, आईएमए के जिला अध्यक्ष और आयुष चिकित्सा पदाधिकारी को सदस्य बनाया जाना था. डीआरए को अपार शक्तियां दी गई हैं.
कमेटी की सिफारिश पर ही होना था निबंधन
आईएमए के अध्यक्ष सह डीआरए के निर्धारित सदस्य डॉ विद्या भूषण की माने तो क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत डीआरए की सिफारिश पर जिले में किसी भी नर्सिंग होम, प्राइवेट क्लीनिक व जांच घर खोलने की इजाजत दी जानी थी. साथ ही स्वास्थ्य संबंधी संस्थानों का पर्यवेक्षण कर सुनिश्चित किया जाना था कि कोई भी नर्सिंग होम या प्राइवेट क्लीनिक बगैर निबंधित ना हो. कमेटी यह तय करेगी कि नर्सिंग होम, प्राइवेट क्लीनिक व जांच घर निर्धारित मानक के अनुरूप कार्य कर रही है या नहीं. डीआरए जिले में यह भी देखती कि ऐसे चिकित्सा संस्थानों में अग्निशमन व्यवस्था और बायोमेडिकल वेस्ट डिस्पोजल के निर्धारित मानदंड का अनुपालन हो रहा है या नहीं. निर्धारित मानदंड का अनुपालन नहीं होगा तो डीआरए चिकित्सा संस्थानों की मान्यता रद्द कर देगी. पर जिले में डीआरए का गठन ही नहीं हुआ. ऐसे संस्थानों पर किसकी निगरानी हो रही है यह देखने वाला यहां कोई नहीं है. जिले में कई नर्सिंग होम, प्राइवेट क्लीनिक और जांच घर बगैर निबंधन के चल रहे हैं. डीआरए का गठन हुआ होता तो ऐसे संस्थानों पर लगाम लग सकती थी. जानकारी के अनुसार डीआरए की रिपोर्ट हर तिमाही पर झारखंड स्टेट काउंसिल को भेजी जानी थी पर जिले में ऐसा नहीं हो रहा है.
मामले को देखते हैं – सिविल सर्जन
मामले में सिविल सर्जन डॉ एसपी मिश्रा ने कहा कि वो इस मामले को देखेंगे. कहा कि 4 साल पूर्व का निर्देश है. उस समय के सिविल सर्जन को यह गठन करना चाहिए था. कहा कि पत्र के आलोक में जो हो सकेगा किया जाएगा.
by Lagatar News
Rani Sahu
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