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अखिल झारखंड छात्र संघ (आजसू) के पदाधिकारियों एवं छात्र नेताओं ने असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति नियमावली के नये ड्राफ्ट का विरोध किया है
Ranchi : अखिल झारखंड छात्र संघ (आजसू) के पदाधिकारियों एवं छात्र नेताओं ने असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति नियमावली के नये ड्राफ्ट का विरोध किया है. इस संबंध में संघ ने सोमवार को रांची विश्वविद्यालय, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, कोल्हान विश्वविद्यालय, नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय के कुलपति को ज्ञापन सौंपा. उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग, झारखंड सरकार द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसर पद की नियुक्ति के लिए लायी गयी नयी नियमावली पर रोक लगाने की मांग की. संघ के प्रदेश अध्यक्ष गौतम सिंह ने कहा कि नयी नियमावली से विश्वविद्यालय की स्वायत्ता समाप्त हो जायेगी. किसी भी विश्वविद्यालय में नैक ग्रेडिंग के पीछे बहुत से कारक कार्य करते हैं.
नैक ग्रेडिंग में A+/A++/A/B++ ग्रेडिंग पाना राज्य सरकार कार्यशैली पर भी आधारित होता है, जैसे विश्वविद्यालय के आधारभूत संरचना का विकास ना हो पाना, विश्वविद्यालय में संसाधन का अभाव, शिक्षकों की कमी आदि. इसके लिए सीधे-सीधे राज्य सरकार उत्तरदायी होती है. अतः राज्य सरकार की विफलता का खामियाजा शोधकर्ताओं एवं छात्र–छात्राएं भुगतें, यह ठीक नहीं है.
नैक से A+/A++/A/B++ ग्रेडिंग वाले विश्वविद्यालय के द्वारा पीएचडी के प्रमाणपत्र जो यूजीसी रेगुलेशन के आधार पर दिया जाता है, वह भारत के सभी विश्वविद्यालयों में समान रूप से मान्य है. फिर नैक ग्रेडिंग के आधार पर इसका मूल्यांकन करना निराधार है. किसी भी असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति में राज्यस्तरीय विश्वविद्यालय तथा केंद्रीय विश्वविद्यालय में एमफिल/पीएचडी/पोस्ट डॉक्टरेट जैसे रिसर्च डिग्री में अंकों का आवंटन एक समान रहता है.
विश्वविद्यालय की ग्रेडिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता है. झारखंड में ऐसा अगर हो रहा है तो यह वैध नहीं है.
प्रदेश उपाध्यक्ष नीरज वर्मा के मुताबिक विश्वविद्यालय द्वारा कराये जाने वाला नैक ग्रेडिंग का मूल्यांकन समय-समय पर बदलता रहता है, कभी वह ग्रेडिंग "C"तो कभी "B" तो कभी B++, A, तथा A+ आदि हो सकता है.
वर्तमान में रांची विश्वविद्यालय को "बी ++", विनोबा भावे विश्वविद्यालय को "बी", कोल्हान विश्वविद्यालय एवं सिद्धू कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय को "सी" ग्रेड प्राप्त है, जबकि बिनोद बिहारी महतो विश्वविद्यालय, श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय एवं नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय को नैक ग्रेडिंग प्राप्त भी है.
रांची विश्वविद्यालय को छोड़ कर शेष विश्वविद्यालय से प्राप्त पीएचडी डिग्री धारक को 30 में 5 अंक और रांची विश्वविद्यालय को 15, तो इस आधार पर झारखंड के इन सातों विश्वविद्यालयों से पीएचडी डिग्री धारक का चयन असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति में कैसे सुनिश्चित हो पायेगा. ऐसे में दिखता है कि अपने ही राज्य के छात्र-छात्राओं के प्रति राज्य सरकार अहितकारी मंशा जता रही है.
Rani Sahu
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