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समग्र प्रगति और आर्थिक विकास का लाभ समाज के हाशिये पर मौजूद वर्गों तक पहुंचना चाहिए और यह हमारा नैतिक और संवैधानिक कर्तव्य है कि हम पंक्ति में अंतिम व्यक्ति की जरूरतों को पूरा करें और सभी के लिए सम्मान सुनिश्चित करें। उपराज्यपाल ने अधिकारियों को सभी कल्याणकारी योजनाओं की सौ प्रतिशत संतृप्ति सुनिश्चित करने और चल रही योजनाओं के प्रभाव मूल्यांकन को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
उन्होंने कहा कि पात्र आवेदनों के दस्तावेजीकरण और मंजूरी की प्रक्रिया उत्तरदायी, निर्बाध और सरल होनी चाहिए। अधिकारियों से कहा, क्षेत्रीय पदाधिकारियों को अधिक जवाबदेह, सहभागी बनाकर और सामाजिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के प्रयासों को एकीकृत करके वितरण तंत्र में बदलाव लाएं।
शिक्षा का अधिकार, महिलाओं का सशक्तिकरण, खुशहाल बचपन, बुजुर्गों के लिए अधिक सुरक्षा और गुणवत्तापूर्ण जीवन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। महिलाओं और बच्चों के लिए कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा करते हुए उपराज्यपाल ने कहा कि यूटी में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा प्रशासन के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है।
संकट में फंसे लोगों को हर संभव सहायता प्रदान की जानी चाहिए। बैठक में विकलांग व्यक्तियों, ट्रांसजेंडरों, वृद्धों और वरिष्ठ नागरिकों, एससी/एसटी, पहाड़ी समुदाय और अन्य लाभार्थियों के लिए कल्याणकारी उपायों पर भी चर्चा हुई। एससी, एसटी, ओबीसी विकास निगम और महिला विकास निगम और स्वरोजगार योजनाओं के तहत वंचित समूहों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए पर्याप्त ध्यान की आवश्यकता है।
उपराज्यपाल ने मिशन वात्सल्य, लाडली बेटी, विवाह सहायता योजना, बच्चों और वरिष्ठ नागरिक घरों का बुनियादी ढांचा उन्नयन, वन स्टॉप सेंटर का कामकाज, नशीली दवाओं की मांग में कमी और नशा मुक्ति गतिविधियां, विभाग की सामुदायिक गतिशीलता और आईईसी गतिविधियां जैसी योजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन का मूल्यांकन किया।
संगिनी एवं सहायिकाओं की भर्ती, सड़कों पर बच्चों का पुनर्वास, हेल्प-लाइनों की कड़ी निगरानी, लंबित मामलों का निपटारा, जमीनी स्तर पर नए आंगनबाड़ी केंद्रों की पहुंच, पोषण ट्रैकर का कार्यान्वयन और स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रमों में बाल गृहों के कैदियों की भागीदारी पर भी चर्चा हुई।
विभिन्न समितियों के गठन, विभाग की सर्वोत्तम पद्धतियां, दृष्टिबाधित आवासीय विद्यालय के छात्रों की उपलब्धियां, पॉस्को आदि के तहत मुआवज़े के बारे में भी जानकारी दी। इस दौरान बताया गया कि पूरे यूटी में सभी बाल गृहों को समान रूप से पलाश (लड़कों के लिए), परीशा (लड़कियों के लिए) और स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी (एसएए) को फुलवाड़ी के रूप में ब्रांड किया गया है।
बैठक में मुख्य सचिव डॉ अरुण कुमार मेहता, संतोष डी वैद्य, प्रमुख सचिव, वित्त विभाग, उपराज्यपाल के प्रधान सचिव डॉ. मनदीप कुमार भंडारी, रमेश कुमार, संभागीय आयुक्त, जम्मू, विजय बिधूड़ी, संभागीय आयुक्त कश्मीर, विभागाध्यक्ष और समाज कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।