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कश्मीर | अनुच्छेद 370 की तरह अलगाववाद का वजूद मिट चुका है। अब घाटी में मुख्यधारा से जुड़े राजनीतिक दलों के साथ बातचीत शुरू करने की जरूरत है। यह बात इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक एएस दुल्लत ने कही। दुल्लत ने शनिवार को एक साक्षात्कार में कहा, हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक की कश्मीर की राजनीति में भूमिका है, लेकिन वह 4 अगस्त, 2019 से नजरबंद हैं।
उन्हें रिहा किया जाना चाहिए। बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में केंद्र सरकार में जम्मू-कश्मीर के सलाहकार रहे दुल्लत पाकिस्तान के साथ बातचीत करने की भी वकालत कर चुके हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से कश्मीर मुद्दा हल हो गया है।
इस पर दुल्लत ने कहा, यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं था। जितनी जल्दी हमारे पास एक चुनी हुई सरकार होगी, उतना अच्छा होगा। उन्होंने कहा कि बातचीत ही रास्ता है। यदि अलगाववादियों से नहीं तो मुख्यधारा से बात करें, चुनाव कराएं और जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल किया जाए।
कहा कि युवाओं में कट्टरता एक चिंताजनक मुद्दा है। पाकिस्तान हर बार गड़बड़ी करने की फिराक में रहता है। कश्मीर में बढ़ता कट्टरवाद चिंता का विषय है। कश्मीर हमेशा खुला, उदार, सूफी, शैव रहा है। जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद खत्म नहीं हुआ है, क्योंकि आए दिन ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। पुंछ-राजोरी में इसके नतीजे सामने आ चुके हैं। इनसे निपटने के लिए ध्यान देना होगा।
पूर्व विशेष निदेशक ने कहा कि कश्मीरी में शांति की जरूरत है। 2005 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने पीडीपी के संस्थापक मुफ्ती मोहम्मद सईद को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में जारी नहीं रखने की गलती की थी। 2002 में मुफ्ती मोहम्मद सीएम बने। उनका तीन साल का कार्यकाल अच्छा रहा।
यह पूछे जाने पर कि क्या कश्मीर में परदे के पीछे से कोई बातचीत चल रही है। इस पर दुल्लत ने कहा, वह नहीं जानते और क्योंकि लंबे समय से वह सरकार से बाहर हैं। हर सरकार इसे अपने तरीके से संभालती है। उदाहरण के लिए, उन्होंने पीएम रहे अटल बिहारी वाजपेयी के साथ साढ़े पांच साल काम किया और कश्मीर के लोग अभी भी वाजपेयी को याद करते हैं।
उनके बाद डॉ. मनमोहन सिंह ने पूरी कोशिश की। नरेंद्र मोदी 2014 में सत्ता में आए, उनका स्वागत करने वाले पहले व्यक्ति मीरवाइज थे। उन्हें यकीन है कि पीएम मोदी इसे अपने तरीके से कर रहे हैं। इससे निपटने का हर किसी का अपना तरीका है। कुपवाड़ा में पांच विदेशी आतंकवादी मारे गए।
दुल्लत ने कहा कि उनका हमेशा से मानना रहा है कि उत्तर से ही विदेशी आतंकवादी हैं। वह पुराना मार्ग रहा है, कुपवाड़ा में शुक्रवार को घुसपैठ की कोशिश में एक पूर्व अफगान की संलिप्तता के बारे में पूछे जाने पर पूर्व स्पाईमास्टर ने कश्मीर में उग्रवाद में तालिबान की भागीदारी की संभावना को खारिज कर दिया।