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ऐसे में ड्रोन सीधे लक्ष्य तक पहुंच जाते हैं।
पंजाब | सीमावर्ती जिलों में ड्रोन के जरिये हथियारों और नशे की तस्करी पर लगाम लगाने के लिए अब सरकार तीसरी आंख यानी सीसीटीवी कैमरों की मदद लेगी। इस प्रोजेक्ट पर 20 करोड़ रुपये की लागत से काम किया जाएगा।इसके अलावा ड्रोन के जरिये हथियार और नशे संबंधी उचित सूचना देने वाले को पंजाब पुलिस एक लाख रुपये की अदायगी करेगी। यह फैसला पंजाब पुलिस की तरफ से ले लिया गया है। डीजीपी पंजाब गौरव यादव ने इस संबंधी आदेश जारी कर दिए हैं। उन्होंने कहा है कि सूचना देने वाले का नाम गुप्त रखा जाएगा।
पुलिस की कोशिश पंजाब को नशा मुक्त बनाना है।पंजाब की 557 किलोमीटर सीमा पड़ोसी देश पाकिस्तान से लगती है। इस सीमा के साथ पंजाब के छह जिले तरनतारन, अमृतसर, पठानकोट, गुरदासपुर, फाजिल्का और फिरोजपुर लगते हैं। इनमें करीब 27 प्वाइंट ऐसे हैं, जो कि ड्रोन के जरिये हथियार और नशा तस्करी का गेटवे बन गए हैं। तस्कर यहां की परिस्थितियों का फायदा उठाते हैं। इस पर नकेल कसने के लिए पंजाब पुलिस व सीमा सुरक्षा बल के उच्च अधिकारियों की अहम मीटिंग में रणनीति बनी है। इसमें यह भी बात सामने आई कि अमृतसर, गुरदासपुर और बटाला एरिया इन दिनों हॉट स्पॉट बन रहे हैं।
इन पर अंकुश लगाने की दिशा में कार्रवाई जाए।वहीं, इससे पहले पंजाब पुलिस की तरफ से इमरजेंसी ड्रोन रिस्पांस सिस्टम गठित किया गया। इसमें बॉर्डर से सटे गांवों में 400 अधिक विलेज पुलिस आफिसर तैनात किए गए हैं। उन्हें गांवों की हर गली से लेकर चौराहे तक जानकारी हाेती है। यह गांवों की चौकस कमेटियों के साथ मिलकर काम करते हैं।
जैसे ही उनके पास कोई सूचना होती है उसे तुरंत शेयर की जाती है।याद रहे कि गत एक साल में जम्मू-कश्मीर साइड में सख्ती ज्यादा होने से नशा तस्करों ने पंजाब को नशा तस्करी के लिए चुना है। खास बात यह है कि यहां पर पहाड़ आदि नहीं हैं, ऐसे में ड्रोन सीधे लक्ष्य तक पहुंच जाते हैं। गत साल 244 ड्रोन एक्टिविटी हुई थीं, जबकि 23 ड्रोन मार गिराए गए हैं।
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