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पक्ष अधिवक्ता मोनिका कोहली ने रखा।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | जम्मू-कश्मीर गृह विभाग के आयुक्त सचिव ने सरकार की तरफ से एकल पीठ के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। मुख्य न्यायाधीश एन कोटिश्वर सिंह और न्यायाधीश राहुल भारती की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष सरकार का पक्ष अधिवक्ता मोनिका कोहली ने रखा।
विलेज डिफेंस ग्रुप (वीडीजी) पालिसी को रद्द करने के एकल पीठ के आदेश पर जम्मू-कश्मीर व लद्दाख उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने रोक लगा दी। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संजीव कुमार ने इसी वर्ष 6 अप्रैल को वीडीजी पालिसी रद्द करने का आदेश जारी किया था।
जम्मू-कश्मीर गृह विभाग के आयुक्त सचिव ने सरकार की तरफ से एकल पीठ के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। मुख्य न्यायाधीश एन कोटिश्वर सिंह और न्यायाधीश राहुल भारती की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष सरकार का पक्ष अधिवक्ता मोनिका कोहली ने रखा।
उन्होंने कहा कि नई व्यवस्था के तहत वीडीजी मुखिया को एसपीओ के रूप में बरकरार रखते हुए उन्हें 18000 रुपये की मासिक दर पर मानदेय का भुगतान करने से सरकारी खजाने पर भारी बोझ पड़ेगा। इसके अलावा विलेज डिफेंस ग्रुप के अन्य सदस्यों को भी भुगतान करना होगा।
पहले वीडीजी मुखिया को ही सब मिल रहा था। बाकी के सदस्यों को कुछ नहीं मिल रहा था। यदि मुखिया को 18 हजार और बाकी के सदस्यों को 4 हजार दिया गया, तो इससे योजना प्रभावी नहीं हो सकेगी। यह योजना की विफलता का भी कारण होगा।
दलीलें सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि एकल न्यायाधीश ने अपीलकर्ताओं को 2022 की योजना के संदर्भ में ग्राम रक्षा समूह के अन्य सदस्यों को पारिश्रमिक देने का निर्देश दिया है, जो कि अपीलकर्ता के अनुसार अपने आप में एक विरोधाभास है।
सरकार की ओर से दाखिल याचिका में यह बताया गया कि वर्ष 2022 की योजना में पारिश्रमिक तय करके यह बताया गया है कि कानून सभी के लिए बराबर है। खंडपीठ ने आगे कहा कि एकल न्यायाधीश ने मानदेय के भुगतान के लिए कुछ निर्देश जारी करने के लिए दो योजनाओं के कुछ हिस्सों को संपादित और मिश्रित किया है।
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