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हिमाचल प्रदेश
प्रदेश हाई कोर्ट ने दिए आदेश, जांच में सही पाई डिग्रियों की सूची दे सरकार
Gulabi Jagat
2 Jun 2023 1:24 PM GMT
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शिमला: प्रदेश हाई कोर्ट ने मानव भारती विश्वविद्यालय के खिलाफ फर्जी डिग्री मामले में दायर किए गए चालान को पेश करने के आदेश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन की खंडपीठ ने राज्य सरकार को जांच में सही पाई गई डिग्रियों की सूची भी कोर्ट के समक्ष रखने के आदेश दिए। कोर्ट को बताया गया था कि फर्जी डिग्री से जुड़े आपराधिक मामले में ट्रायल कोर्ट के समक्ष चालान पेश कर दिया गया है। इससे पहले प्रदेश हाई कोर्ट मानव भारती विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों को जारी किए डिटेलड माक्र्स प्रमाणपत्रों का सत्यापन करने वाली जांच कमेटी की रफ्तार पर फटकार भी लगा चुका है। कोर्ट ने आश्चर्य जताया था कि फर्जी डिग्री घोटाला सामने आने के तीन साल बाद भी जांच कमेटी छात्रों को दी गई प्रमाणिक डिग्रियों और फर्जी डिग्रियों को नहीं छांट पाई। कोर्ट ने जांच कमेटी को फटकार लगाते हुए कहा था कि यह अदालत प्रभावित छात्रों को दशकों तक अपनी मेहनत से हासिल की गई डिग्रियों का इंतजार नहीं करने देगी। लगभग 2300 डिग्रीधारकों में से 250 के लगभग छात्रों ने अदालत को पत्र लिख कर या अपनी निजी याचिकाएं दायर कर हाई कोर्ट का रुख कर अपनी वास्तविक डिग्रियां दिलवाने की गुहार लगाई है। (एचडीएम)
खनन लाइसेंस धारकों की सूची तलब
शिमला। हाई कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश की वेटलैंड के रखरखाव से जुड़े मामले में राज्य सरकार से खनन लाइसेंस धारकों की सूची तलब की है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी यमुना नदी की आद्रभूमि की निशानदेही करने के आदेश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ के समक्ष देहरादून निवासी गजेंद्र रावत द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में गुहार लगाई गई है कि वेटलैंड के 10 किलोमीटर के दायरे में खनन पर रोक लगाई जाए और इसके लिए राज्य सरकार की ओर से जारी लाइसेंस को रद्द किया जाए।
यह कार्यवाही दीवानी किस्म की है
शिमला। घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत की गई कार्यवाही दीवानी किस्म की है। इस अधिनियम के तहत कार्यवाही को फौजदारी मुकदमों की तरह नहीं निपटाया जा सकता। हाई कोर्ट ने यह व्याख्या घरेलू हिंसा से जुड़े एक मामले में की। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने अधीनस्थ न्यायालयों को दिशा-निर्देश दिए हैं कि घरेलू हिंसा अधिनियम के अध्याय चार के तहत कार्यवाही को दीवानी मुकदमों की तरह निपटाया जाए। यदि मामले का निपटारा करते समय अदालत को गवाहों के बयानों की जरूरत पड़ती है, तो इसके लिए विशेष बिंदु निर्धारित किए जाए। गवाहों के बयानों की जरूरत न पाते हुए आवेदन का निपटारा बिना बयानों के किया जाए। अदालत ने स्पष्ट किया कि घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 12 के तहत आवेदन पर पारित आदेशों को आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 में चुनौती नहीं दी जा सकती है।
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Gulabi Jagat
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