हिमाचल प्रदेश

श्रीश्रीश्री 1008 शिव गिर जी महाराज का 19वीं बरसी मेला

Gulabi Jagat
20 Feb 2023 9:25 AM GMT
श्रीश्रीश्री 1008 शिव गिर जी महाराज का 19वीं बरसी मेला
x
उत्तरी भारत के प्रसिद्ध सिद्ध पीठ बाबा बालक मंदिर दियोटसिद्ध महंत आवास पर समाधिलीन महंत श्रीश्रीश्री 1008 शिव गिर जी महाराज का 19वीं बरसी मेला धूम धाम से मनाया गया। गद्दीसीन महंत श्री श्री श्री 1008 राजेन्द्र गिर जी महाराज ने गुरु शिष्य की परम्परा को निभाते हुए संत समाज व साधूओं की जमात की उपस्तिथि में पहले झंडा रस्म की आदायगी गई। देश और दुनिया की आगाध श्रद्धा व अटूट विश्वास का केंद्र बन चुकी दियोटसिद्ध सिद्ध स्थली में ब्रह्मलीन महंत शिव गिर के बरसी मेले के अवसर पर महंत आवास को दुल्हन की तरह सजाया गया था। इस दौरान दियोटसिद्ध मंदिर अध्यक्ष एवं एसडीएम बड़सर शशि पाल शर्मा व डीएसपी शेर सिंह ने बरसी मेले में शिरकत की! महंत श्री ने उन्हें बाबा जी का पट्टा डालकर व टोपी पहनाकर सम्मानित किया।
दियोटसिद्ध की गुरुगद्दी के 13 वें महंत कहलाने बाले ब्रह्मालीन महंत शिव गिर जी के बरसी मेले में पंजाब के प्रसिद्ध कलाकारों सहित हिमाचल की सुरीली आवाज बनी बंदना धीमान ने इस दौरान बाबा बालक नाथ के भजनों से खूब समा बांधा। महंत आवास पर देर रात्रि तक जगराते का आयोजन हुआ। महंत आवास प्रशासन ने श्रद्धांलुओं की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए तमाम इंतजाम किए हुए थे। श्रद्धांलुओं के लिए सारा दिन अटूट लगरा की व्यवस्था की गई थी।
महंत श्रीश्रीश्री 1008 राजेन्द्र गिर जी महाराज ने कहा कि आज का युग सुविधाओं का युग है। इस युग में सिद्ध स्थल की प्राचीन सिद्ध परंपराओं के नैसर्गिक ज्ञान के लाभ से नई पीढ़ी वंचित हो रही है। नई पीढ़ी को प्राचीन सिद्ध परम्पराओं से जोड़ने के लिए दियोटसिद्ध नगर में अति आधुनिक आवासीय कमरों का निर्माण शुरू किया है। महंत श्री ने बरसी मेले की पावन वेळा पर सिद्ध आवास के नाम से बन रही इस बहुमजिला भंवन को लांच किया है। नई युवा पीढ़ी व श्रद्धांलू इस आवासीय सुविधा का लाभ ले सकते है।
बता दे कि दियोटसिद्ध में महंतों की प्राचीन गद्दी का इतिहास करीब 1400 साल पुराना बताया जाता है। सिद्ध ग्रंथ के उल्लेख के मुताबिक बाबा बालक नाथ 6वीं से 7वीं शताब्दी के बीच अवतरित हुए हैं। परम पावन कैलाश में देवाधिदेव महादेव से वरदान लेकर वह इस अवधि के दौरान दियोटसिद्ध नगर में उन्होंने अपना अखंड धूना लगाकर इसे अपना धाम बनाया था। जो कि अब तक निरंतर चला हुआ है।
Next Story