हिमाचल प्रदेश

विस अध्यक्ष व उपाध्यक्ष बनने से परहेज कर रहे मंत्री पद के तलबगार, कैबिनेट के लिए कुछ नाम तय

Gulabi Jagat
3 Jan 2023 5:23 PM GMT
विस अध्यक्ष व उपाध्यक्ष बनने से परहेज कर रहे मंत्री पद के तलबगार, कैबिनेट के लिए कुछ नाम तय
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शिमला, 3 जनवरी : प्रदेश के नए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को अपनी टीम का चुनाव करना टेढ़ी खीर बना हुआ है। कोई भी विधायक मंत्री से कम पद नहीं चाहता। यहीं नहीं, जिन्हे सीएम विस अध्यक्ष व उपाध्यक्ष बनाना चाहते हैं, वो भी मंत्री बनने के तलबगार हैं। जिला कांगड़ा व शिमला से मिली बम्पर जीत ने सीएम सुक्खू की मुश्किलें सबसे ज्यादा बढ़ा दी हैं। पार्टी को इन दोनों जिलों से शानदार जीत मिलने के चलते यहां मंत्री चुनना कठिन साबित हो रहा है। कांगड़ा में जहां पार्टी को 15 में से 10 सीट मिली है, वहीं शिमला में पार्टी को 8 में से 7 पर विजय हांसिल हुई है। यानी 17 सीटें सीधे कांग्रेस के खाते में आने से यहां मंत्रियों का चुनाव करना आलाकमान के लिए भी बेहद मुश्किल साबित हो रहा है।
विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के लिए चल रहे ये नाम…
कांगड़ा जिला के वरिष्ठ नेता चंद्र कुमार, सोलन से धनीराम शांडिल व चंबा से कुलदीप पठानिया में से किसी एक को सीएम व केंद्रीय आलाकमान विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी देना चाहते हैं। मगर तीनों नेता मंत्री पद से कम कुछ नहीं चाहते। किन्नौर से विधायक जगत सिंह नेगी पहले ही विधानसभा अध्यक्ष बनने से इंकार कर चुके हैं। ऐसे में ठियोग से जीते कुलदीप राठौर का नाम भी अब विधानसभा अध्यक्ष के लिए चर्चा में हैं। वहीं विधानसभा उपाध्यक्ष के लिए मंडी के धर्मपुर से एकमात्र सीट जीतने वाले चंद्रशेखर व कांगड़ा के पालमपुर से विधायक आशीष बुटेल के नाम पर विचार चल रहा है।
कांगड़ा में जातिगत संतुलन की वजह से फंसा हैं पेंच
कांगड़ा से चंद्र कुमार यदि स्पीकर नहीं बनते तो उन्हें मंत्री बनाना पड़ेगा। उनका ताल्लुक ओबीसी समुदाय से है, जिसकी संख्या कांगड़ा में काफी ज्यादा है। वहीं ब्राह्मण कोटे से सुधीर शर्मा का दावा सबसे मजबूत है। बड़ा जिला होने के कारण यहां से तीन मंत्री बनाए जाने हैं। इसलिए तीसरे मंत्री के रूप में किसी राजपूत चेहरे को मंत्रिमंडल में शामिल करने के बाद ही जातिगत संतुलन बन पाएगा। ऐसे में रघुवीर बाली व संजय रतन का दावा कमजोर पड़ता नजर आ रहा है। ऐसे में राजपूत चेहरे के रूप में शाहपुर से जीते केवल सिंह पठानिया दावेदार हो सकते हैं मगर वह पहली बार जीतकर आए हैं, इसलिए उनके नाम पर भी दूसरे सीनियर विधायक आपत्ति जता सकते हैं। यही हाल भवानी सिंह पठानिया के साथ है। वह अपने दिवंगत पिता की मृत्यु के बाद चुनाव मैदान में उतरे। हालांकि उन्होंने उपचुनाव व इस चुनाव में जीत दर्ज की है। इस तरह कांगड़ा में मंत्रियों का चयन करना बेहद कठिन साबित हो रहा है। इसी वजह से सीएम कांगड़ा से मंत्रियों के चयन में फूंक- फूंक कर कदम रख रहे हैं।
शिमला का भी यही मंजर
शिमला जिले से विक्रमादित्य सिंह मंत्री होंगे। क्योंकि पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के धड़े को खुश रखने के लिए यह मजबूरी है। वहीं वरिष्ठता के लिहाज से जुबल कोटखाई के विधायक रोहित ठाकुर व कुसुम्पटी से विधायक अनिरुद्ध सिंह का दावा भी मजबूत है। उधर एससी कोटे से रोहड़ू के विधायक मोहन लाल बरागटा व रामपुर से विधायक नंदलाल की दावेदारी को भी नकारा नहीं जा सकता। उधर ठियोग से पहली बार जीते कुलदीप राठौर की आलाकामन में पैठ होने के चलते उन्हें भी किसी पद से नवाजा जाना कांग्रेस की मज़बूरी है। वह पार्टी अध्यक्ष भी रहे हैं। ऐसे में देखना है की शिमला के किले को सुरक्षित रखने के लिए मुख्यमंत्री व आलाकमान क्या डिसाइड करती है।
इनका मंत्री बनना तय
इस समय मंत्री के लिए जो नाम लगभग फाइनल हो चुके है उनमें सिरमौर जिले के शिलाई से वरिष्ठ विधायक हर्षवर्धन चौहान पहले नंबर पर है। उनका मंत्री बनना तय है। वहीं बिलासपुर जिला के घुमारवीं से जीते एकमात्र विधायक राजेश धर्माणी का भी मंत्री बनना तय माना जा रहा है। उनका नाम भी लगभग फाइनल है। वहीं कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, किन्नौर से जगत सिंह नेगी को मंत्री बनाया जा सकता है।
ये भी भिड़ा रहे है तिकड़म
हमीरपुर से इंद्र दत्त लखनपाल, सुजानपुर से राजेंद्र राणा, लाहौल स्पीति से रवि ठाकुर, सोलन जिला के बद्दी दून से रामकुमार चौधरी भी मंत्री बनने के लिए भाग दौड़ में जुटे हैं। इनमें रामकुमार चौधरी एक सूरत में मंत्री बन सकते हैं, यदि कर्नल धनीराम शांडिल को विस अध्यक्ष बनाया जाएगा। यदि चंद्र कुमार को अध्यक्ष बनाया गया तो भी रामकुमार चौधरी का मंत्री पद के लिए नाम आगे आ सकता है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि रामकुमार चौधरी सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के खासमखास माने जाते हैं।
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