हिमाचल प्रदेश

सरकारी राशन ढुलाई के मामले में करोड़ों का घोटाला

Shantanu Roy
28 March 2023 9:49 AM GMT
सरकारी राशन ढुलाई के मामले में करोड़ों का घोटाला
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नाहन। सिरमौर जिले में सरकारी राशन ढुलाई के मामले में करोड़ों रुपए के घोटाले के कथित आरोप लगे हैं। स्कूटी व कंडम ट्रक में 10-10 टन अनाज को दुर्गम पहाड़ी इलाकों में पहुंचाया गया। यही नहीं, ढुलाई की आड़ में घोटाले के साथ-साथ गरीब परिवारों के राशन को भी डकार कर घोटाले की राशि को दोगुना करने के कथित आरोप लगाए गए हैं। ये आरोप इस संदर्भ में जुटाई गई आर.टी.आई. के दम पर नाहन शहर के एक कारोबारी रितेश गोयल ने लगाए हंै। सोमवार को नाहन में इस सिलसिले में आर.टी.आई. के माध्यम से जुटाए गए दस्तावेजों के साथ पहुंचे रितेश गोयल ने बताया कि कथित घोटाले का पर्दाफाश करने के लिए अब तक उन्होंने 70,000 रुपए की राशि आर.टी.आई. की जानकारी जुटाने में खर्च की है। लगभग 30,000 कॉपियां आर.टी.आई. के माध्यम से प्राप्त हुई हैं। उन्होंने भुगतान को लेकर बिलों व चालान इत्यादि की जानकारी भी सांझा की। गोयल ने बताया कि आर.टी.आई. के माध्यम से खुलासा हुआ है कि मिल मालिक ने कंडम ट्रक (एच.पी.18बी-5205) और स्कूटी नं.(एच.पी.18ए-8505) पर 10-10 टन राशन की ढुलाई दिखाई है। उसके बाद विभाग ने बिलों को भी पास कर दिया। एक आपूर्ति तो 3 महीने बाद गंतव्य तक पहुंची।
उन्होंने आरोप लगाया कि कोविड काल में 2020-21 व 2021-22 में हिमाचल प्रदेश राज्य आपूर्ति निगम समिति के गोदामों से अनाज की ढुलाई की एवज में तकरीबन 10 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। ठेकेदार ने एक ही गाड़ी द्वारा एक ही दिन में 3 अलग-अलग स्थानों पर आटा ढुुलाई को दर्शाया है। निगम द्वारा बंद पड़ी आटा मिल को पिसाई व ढुलान का भुगतान किया गया। गोयल ने सवाल उठाया कि जब बिजली की खपत ही नहीं हुई तो आटे की पिसाई कैसे हुई। गोयल का यह भी कहना था कि बार-बार शिकायत करने के बाद कोई परिणाम नहीं निकला। 6 जुलाई, 2022 को प्रधानमंत्री व केंद्रीय खाद्य मंत्री व तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को भी जानकारी दी गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई। आरोप लगाया कि हिमाचल प्रदेश राज्य आपूर्ति निगम सीमित के निदेशक द्वारा महज खानापूर्ति के लिए जांच करवाई गई। उन्होंने कहा कि निगम द्वारा घोटाला करने वाले आटा मिल मालिक को मौजूदा समय में भी जमकर ढुलाई का कार्य दिया जा रहा है। गोयल का यह भी कहना था कि राशन के डिपुओं में जब एक बार अंगूठा लग जाता है तो परिवार का पूरा राशन अलॉट दिखा दिया जाता है। राशन डिपो से उपभोक्ता को खरीदे गए राशन का बिल देने का भी प्रावधान नहीं है। उन्होंने मामले की जांच सी.बी.आई. से करवाने की मांग की है। उधर, इस मामले में डी.सी. सिरमौर राम कुमार गौतम ने कहा कि मीडिया के माध्यम से मामला संज्ञान में लाया गया है। उन्होंने कहा कि खाद्य आपूर्ति व उपभोक्ता मामले के जिला नियंत्रक को इस मामले में रिपोर्ट भेजने के मौखिक आदेश दे दिए गए हैं। वहीं खाद्य आपूर्ति व उपभोक्ता मामले के जिला नियंत्रक विजय सिंह ने कहा कि जांच पूरी हो चुकी है। अनियमितता नहीं पाई गई थी। शिकायतकर्ता द्वारा की गई पत्रकार वार्ता का मामला संज्ञान में आया है। पूरे मामले की दोबारा से स्टडी कर रहे हैं। जिला नियंत्रक ने गेंद उपभोक्ताओं के पाले में डालते हुए यह भी कहा कि राशन डिपुओं से राशन लेते वक्त बिल न लेना उनकी गलती है। उन्होंने कहा कि स्कूटी व कंडम ट्रक में ढुलान को लेकर सीरीज में गलती की बात सामने आई थी।
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