हिमाचल प्रदेश

रोहित चौहान ने भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट की हासिल की उपाधि

Gulabi Jagat
4 Dec 2022 11:21 AM GMT
रोहित चौहान ने भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट की हासिल की उपाधि
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प्रदेश के जिला मंडी के तुंगल क्षेत्र के गौरवशाली इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है. क्षेत्र की ग्राम पंचायत कोटली के घरवाण गांव के निवासी रोहित चौहान ने भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट की उपाधि हासिल की है.
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी देहरादून से 1 वर्ष का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उन्हें आगामी 10 दिसंबर को होने वाली आउट पासिंग परेड के दौरान लेफ्टिनेंट के तौर पर नियुक्ति दी जाएगी. रोहित चौहान मैकेनाइज्ड इंफ्रा रेजीमेंट में इंडियन कमीशन अधिकारी के रूप में भारतीय सेना को अपनी सेवाएं देंगे.
उनकी तरक्की की खबर सुनकर उनके माता-पिता, परिजनों तथा क्षेत्रवासियों में उत्साह एवं खुशी का माहौल है. उनके पिता नवल किशोर तथा माता अंजू चौहान राष्ट्रीय रक्षा अकादमी देहरादून में होने वाली आउट पासिंग परेड के दौरान अपने लख्ते जिगर को मिलने वाले सम्मान के चश्मदीद बनने के लिए वहां जाने की तैयारियों में जुट गए हैं.
जबकि क्षेत्रवासियों की ओर से 12 दिसंबर को कोटली आने पर रोहित चौहान का जोरदार स्वागत किया जाएगा. उस दिन कोटली बस स्टैंड पर आयोजित स्वागत समारोह के बाद घरवाण में इनके घर पर प्रीतिभोज का आयोजन भी होगा.
जिसे प्रमोशन सेरेमनी का नाम दिया गया है. चौहान परिवार के लिए खुशियों का यह सिलसिला 14 एवं 15 दिसंबर को भी जारी रहेगा. उस दिन लेफ्टिनेंट रोहित चौहान चलहर निवासी चिंता देवी एवं लेखराज की सुपुत्री स्नेहा के साथ वैवाहिक बंधन में बंधने जा रहे हैं.
रोहित चौहान कई वर्षों तक ग्राम पंचायत कोटली के प्रधान रह चुके स्वर्गीय गोविंद राम जी के पोते हैं. रोहित केे ने स्कूली शिक्षा केंद्रीय विद्यालय से हुई. उनके संघर्ष की कहानी 2012 में शुरू हुई थी. जब वे सिपाही के तौर पर भारतीय सेना में भर्ती हुए. उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
सेवा चयन बोर्ड के माध्यम से सन 2018 में उनका सिलेक्शन आर्मी कैडेट कॉलेज के लिए हुआ. जहां से स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद राष्ट्रीय रक्षा अकादमी देहरादून में उसका कठिन सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त करके लेफ्टिनेंट की उपाधि पाई.
अपने कठिन परिश्रम, लगन एवं संघर्ष के परिणाम स्वरूप यह मुकाम हासिल करके उन्होंने अपने क्षेत्र एवं परिवार का नाम रोशन किया है. उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता तथा गुरुजनों को दिया है.
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