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हिमाचल प्रदेश
'अच्छा मजाक करते हैं लोग खुद तय कर मुकर जाते हैं लोग', कंदरौर में सजी कवियों की महफिल
Shantanu Roy
11 Jan 2023 9:53 AM GMT
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बड़ी खबर
बिलासपुर। भाषा संस्कृति विभाग कार्यालय बिलासपुर व कल्याण कला मंच बिलासपुर के संयुक्त तत्वावधान में कंदरौर में एक बहुभाषी संगोष्ठी व सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसका मुख्य थीम स्थानीय भाषा और संस्कृति रहा। कार्यक्रम में मुख्यातिथि के रूप में स्थानीय समाज सेविका कला देवी व कार्यक्रम की अध्यक्षता मंच के संरक्षक चंद्रशेखर पंत और बुद्धि सिंह चंदेल ने संयुक्त रूप से की। मंच संचालन राकेश मिन्हास और हेमराज शर्मा ने किया। नववर्ष के अवसर पर हुई मंच की पहली संगोष्ठी का आगाज बिलासपुर शहर से पधारे रामपाल डोगरा ने आंखें ही दिशाहीन हैं आंखों का दोष है आंखें ही कहती हैं, रौड़ा सैक्टर से पधारे विख्यात कहलूरी कवि जीतराम सुमन ने मैं पर्यावरण हूं जैव मंडल का आवरण हूं, घुमारवीं की वीना वर्धन ने अपने अंदाज में ठंडी ने दंदली छुट्टी जांदी आजकला बड़ी पारी ठंड लगदी आजकला, नन्हे गायक शिवांश ने नन्हा मुन्ना राही हूं देश का सिपाही हूं।
झंडूता की रचना चंदेल ने जन-जन के नायक जन-गण गान करो, कहलूरी के हस्ताक्षर लश्करी राम ने भला बाबा जी कालेया मंदर तेरा जी बाबा हनुमान टील्ले, बीमा क्षेत्र के अधिकारी जोगिंद्र महाजन ने फाइनल पेपर में मुन्ने के कम नंबर आए मुन्ने के पिता अपनी पत्नी पर चिल्लाए, कार्यक्रम के आयोजक व मुख्याध्यापक रविंद्र ठाकुर ने अच्छा मजाक करते हैं लोग खुद तय कर मुकर जाते हैं लोग, मंच की महासचिव तृप्ता कौर मुसाफिर ने म्हारा म्हांचल ओ बड़ा बांका तू गल्ल सुण ओ माणुवा, कालेज गणित के सह आचार्य डा. जय महलवाल ने पया बरफ उचियां उचियां धारां ते बरखा रा नी रया नसाण, बल्ह के कथा वाचक आचार्य जगदीश सहोता ने विशिष्ट शैली में भजन तू मुं कन्ने बोल्या मीठी, हिमाचल प्रदेश के लोक कलाकार रविंद्र चंदेल कमल ने सूरज को आकर चमकना ही होगा नित चलना ही होगा तरन्नुम में गीत सुनाकर दर्शकों से वाहवाही ली। सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल कंदरौर के छात्र-छात्राओं ने भी सुंदर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां पेश कीं। बैंक के वरिष्ठ प्रबंधक सेवानिवृत्त मनसा राम ने कार्यक्रम की प्रशंसा की, वहीं स्थानीय शिक्षक देशराज ठाकुर ने संस्कृति के संवद्र्धन में मंच के प्रयासों को सराहा, प्रधान सुरेंद्र सिंह मिन्हास कहलूरी की रचना खिल्ले खेत बीऊ बाहणे जो होई गई पछेत सुणो पाइयो, बरखे रैहणे खिल्ले खेत की प्रस्तुति दी।
Shantanu Roy
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