हिमाचल प्रदेश

एचपी 99-9999 नंबर के लिए चल रही ऑनलाइन नीलामी, वीआईपी नंबर को 1.12 करोड़ की बोली में फ्रॉड

Gulabi Jagat
17 Feb 2023 11:23 AM GMT
एचपी 99-9999 नंबर के लिए चल रही ऑनलाइन नीलामी, वीआईपी नंबर को 1.12 करोड़ की बोली में फ्रॉड
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शिमला
एक वीआईपी नंबर के लिए नीलामी में 1.12 करोड़ रुपए से ज्यादा की बोली ने सबको चौंका दिया है। खासकर जब यह नंबर एक स्कूटी के लिए लिया जा रहा हो। गुरुवार को कोटखाई एसडीएम ऑफिस को दी गई नई सीरीज एचपी 99 को लेकर यह मामला सामने आया है, जो दिन भर चर्चा में रहा, लेकिन शाम होते-होते पूरे मामले में किसी फ्रॉड की आशंका बढ़ गई है। दरअसल केंद्रीय परिवहन मंत्रालय की वेबसाइट के माध्यम से फैंसी या वीआईपी नंबरों की ऑनलाइन बोली लग रही थी। आरएलए कोटखाई के दफ्तर को दी गई नई सीरीज के नंबर एचपी 99-9999 के लिए बोली एक करोड़ से ऊपर चली गई। हालांकि शुक्रवार शाम तक यह प्रक्रिया फाइनल होगी और उसके बाद पता लगेगा कि बोली आखिर में कहां तक रुकती है और कौन इस नंबर को लेता है। परिवहन विभाग के सूत्रों से पता चला है कि अब तक कुल 26 लोगों ने इस बोली में भाग लिया है और इनमें से शिमला के रोहड़ू और सोलन के नालागढ़ से बहुत सी बोलियां लगी हैं।
इसलिए आशंका है कि जो राशि इस नीलामी में भरी गई है, उस पर इस नंबर को न लिया जाए। इसकी वजह भी साफ है। दरअसल परिवहन विभाग इस ऑनलाइन नीलामी के लिए जो सिक्योरिटी अमाउंट लेता है, बोली की प्रक्रिया पूरी न करने की सूरत में उस धनराशि को जब्त करने का प्रावधान नियमों में नहीं है। बताते हैं कि परिवहन विभाग ने यह फैसला ले लिया था, लेकिन एनआईसी के माध्यम से इसे नोटिफाई नहीं किया जा सका। इसी वजह से सॉफ्टवेयर पर भी यह प्रदर्शित नहीं होता। परिवहन विभाग में इस तरह का रैकेट पहले से चल रहा है। पहले लोग स्कूटर और स्कूटी के नाम पर वीआईपी नंबर ले लेते थे और बाद में आगे इसे और महंगा कर बेच देते थे। परिवहन विभाग ने बाद में नियमों में संशोधन कर इसे नॉन ट्रांसफरेबल कर दिया था, लेकिन सिक्योरिटी राशि को जब्त करने का प्रावधान नहीं हो पाया। इसलिए ऐसा लग रहा है कि कम से कम स्कूटी के नंबर के लिए कोई एक करोड़ से ज्यादा क्यों खर्च करेगा। (एचडीएम)
सीएम ने मांगी जानकारी
स्कूटी के नंबर के लिए एक करोड़ से ज्यादा की बोली का मामला मीडिया में सामने आने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने परिवहन निदेशालय फोन कर इस प्रक्रिया की जानकारी मांगी है। हालांकि उन्हें वापस जवाब दिया गया है कि कौन-कौन इस प्रक्रिया में बोलीदाता रहे, इसकी जानकारी बोली पूरी होने के बाद ही विभाग को मिल पाएगी। ऐसे में यदि यह नंबर एक करोड़ से ऊपर की राशि पर नहीं गया, तो राज्य सरकार जांच के आदेश भी दे सकती है।
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