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हिमाचल प्रदेश: 20 मांगें माने सरकार, कहा- नहीं मानी बात, तो चुनावों में मिलेगा जवाब

Gulabi Jagat
3 Aug 2022 9:57 AM GMT
हिमाचल प्रदेश: 20 मांगें माने सरकार, कहा- नहीं मानी बात, तो चुनावों में मिलेगा जवाब
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शिमला
हिमाचल में चल रहे बागबानों का आंदोलन सेब कार्टन पर जीएसटी में छह फीसदी की छूट व कीटनाशकों की सबसिडी की बहाली के बाद भी जारी है। बागबानी संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा ने ऐलान किया है कि वह पांच अगस्त को सचिवालय का घेराव करेगा। बागबानों की सिर्फ पांच मांगे नहीं, सरकार पूरी 20 मांगे माने, तब जाकर कहीं बागबानों का आंदालन थमेगा। बागबानों ने यह भी साफ किया है कि अगर सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती है तो विधानसभा चुनावों में इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे। संयुक्त मंच ने संयोजक हरीश चौहान ने यह ऐलान किया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने साफ कर दिया है कि जो पार्टी उनकी मांगों को मानेगी आने वाले विधानसभा चुनावों में बागबान उसी का समर्थन करेंगे। कांग्रेस ने ओपीएस बहाली की घोषणा की हैं, लेकिन बागबान उनसे पूछता है कि बागबानों की समस्याओं पर उनका क्या स्टैंड है।
हरीश चौहान ने कहा कि 28 जुलाई को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्णय लिया गया था कि बागबानों की समस्याओं के समाधान के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी की गठित की जाएगी। इस कमेटी बागबानों को शामिल करने की बात भी कही गई थी, लेकिन हाल में सरकार ने जो फैसले लिए हैं, उसके बारे बागबानों से कोई चर्चा नहीं की गई है। सरकार ने जीएसटी छूट में छह प्रतिशत छूट देने के लिए जो व्यवस्था की है, वह व्यवस्था बहुत ज्यादा जटिल है। 400 रुपए माफ करवाने के चक्कर में बागवानों को 4 हजार का खर्च उठाना पड़ेगा। सरकार की ओर से की गई घोषणाएं अभी तक जमीनीस्तर पर नहीं दिख रही है। उन्होंने कहा कि सरकार कह रही है कि एमआईएस की बकाया पेमेंट के लिए आठ करोड़ जारी कर दिए है लेकिन एक भी बागबान को पेमेंट नहीं मिल पाई है। हरीश चौहान ने बताया कि 44 देशों से आयात होने वाले सेब पर 100 फीसदी आयात शुल्क लगाने के लिए कई बार प्रदेश व भारत सरकार के समक्ष मामला उठाया जा चुका है, लेकिन आयात शुल्क नहीं घट रहा है।
ऐतिहासिक आंदोलन
हिमाचल के सेब बागबान पांच अगस्त को शिमला में ऐतिहासिक मार्च करेंगे। संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान ने कहा कि इससे पहले बागबानों ने 1987 और 1990 में ऐसे बड़े आंदोलन लड़े हैं। इस बार फिर से ऐसी ही निर्णायक लड़ाई पांच अगस्त को लड़ी जाएगी।
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