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हिमाचल प्रदेश: ओबीसी सूची से जाति का नाम हटाए जाने पर गंधर्व समुदाय क्षुब्ध

Gulabi Jagat
9 Aug 2022 2:19 PM GMT
हिमाचल प्रदेश: ओबीसी सूची से जाति का नाम हटाए जाने पर गंधर्व समुदाय क्षुब्ध
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राजगढ़, 09 अगस्त : अन्य पिछड़ा वर्ग सूची से गंधर्व जाति का नाम हटाए जाने पर प्रदेश का गंघर्व समुदाय काफी क्षुब्ध है। जिस बारे गंधर्व कल्याण परिषद हि.प्र. के एक प्रतिनिधिमंडल ने अध्यक्ष पदमश्री विद्यानंद सरैक के नेतृत्व में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से भेंट की। वही, तूरी, हासी और ढाकी जाति को ओबीसी से हटाए जाने के बारे में विस्तार से अवगत करवाया गया।
परिषद के स्थाई सचिव रमेश सरैक ने बताया कि सीएम ने उनकी इस गंभीर समस्या को ध्यान से सुना तथा सहानुभूतिपूर्वक विचार करके इस वर्ग को पुनः ओबीसी में शामिल करने का आश्वासन दिया गया। रमेश सरैक ने बताया कि उनके सामुदाय के साथ एक बहुत बड़ा अन्याय हुआ है। इनका कहना है कि गंधर्व अर्थात तूरी, हासी और ढाकी जाति प्रदेश में सबसे अल्पसंख्यक श्रेणी में आती है। सबसे अहम बात यह है कि इनके द्वारा देव संस्कृति और देव परंपराओं को सदियों से निभाया जा रहा है। बताया कि इस जाति के अनेक ऐसे परिवार है जोकि आज भी देवताओं की जमीन पर काश्त करके रोजी रोटी कमा रहे हैं।
रमेश सरैक ने बताया कि भारत सरकार द्वारा 1993 में जारी सूची में तूरी, हैसी और ढाकी जाति का नाम शामिल थे। जिसकी सूची सीएम को भी दी गई है। ओबीसी के आधार पर इस जाति वर्ग के अनेक लोगों द्वारा वर्ष 2000 और 2005 में पंचायत चुनाव भी लड़ा गया था। वर्ष 2014 तक ओबीसी सूची में तूरी जाति का जिक्र किया गया था। वर्ष 2016 के उपरांत इन जातियों को ओबीसी सूची से हटाया गया जोकि इन जातियों के साथ बहुत बड़ा अन्याय हुआ है। उन्होने बताया कि परिषद के सदस्यों द्वारा इस समस्या को लेकर बीते दिनों राज्यपाल हिप्र से भी भेंट की गई थी।
रमेश सरैक का कहना है कि गंधर्व समुदाय का प्रदेश की संस्कृति के संवर्धन व संरक्षण में अहम भूमिका निभाई जा रही है। प्रदेश में आदिकाल से गाए जाने वाले लोकगीतों, पारंपरिक वाद्य यंत्रों व देव परंपरा का संजोए रखा है। उनका कहना है कि गंधर्व समुदाय का नाम ओबीसी की सूची से किस रिपोर्ट के आधार पर काटा गया है। इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होने बताया कि ओबीसी सूची से हटाए जाने के बारे में इस जाति वर्ग से किसी प्रकार की कोई संवाद भी नहीं किया गया। प्रतिनिधिमंडल में हेतराम गंधर्व, कुलभूषण, बेलीराम, अतर सिंह, रोजश, रामदयाल सोनी सहित गंधर्व कल्याण परिषद के अन्य सदस्य शामिल थे।
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