हिमाचल प्रदेश

आपदा में डूबे हिमाचल को केंद्र सरकार के ट्वीट नहीं धरातल पर चाहिए मदद: अभिषेक राणा

Shantanu Roy
25 July 2023 9:51 AM GMT
आपदा में डूबे हिमाचल को केंद्र सरकार के ट्वीट नहीं धरातल पर चाहिए मदद: अभिषेक राणा
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हमीरपुर। इस बार हिमाचल में भीषण वर्षा और तूफान से जो बवंडर मचा है और जो तबाही हुई है वह पूरे देश ने देखी है जोकि किसी से छिपी नहीं है। कितने ही घर उजड़ गए, कितने ही आशियाने खत्म हो गए और सड़कों इत्यादि के टूट जाने से यातायात तो ठप्प ही है। ऐसे में हिमाचल प्रदेश की गाड़ी रुक सी गई है और इसी मुद्दे पर प्रदेश कांग्रेस सोशल मीडिया चेयरमैन और प्रवक्ता अभिषेक राणा ने अपनी विडंबना जाहिर करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश इस देश के सिर का ताज है और दुनिया में एक मशहूर पर्यटन स्थल है लेकिन आज जब हिमाचल आपदा में है, यहां के लोग मुसीबत में हैं तो बाहरी राज्य और केंद्र सरकार हिमाचल प्रदेश की मदद नहीं कर रहे। अभिषेक राणा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के लोगों को सोशल मीडिया पर जो झूठी सहानुभूतियां नहीं चाहिए बल्कि यहां धरातल पर काम हो ऐसी कार्य व्यवस्था चाहिए। केंद्र सरकार ने अभी तक हिमाचल की कोई मदद नहीं की है। और जो पैसा आपदा प्रबंधन के द्वारा आया है वह ऊंट के मुंह में जीरा देने के समान है क्योंकि कुछ सौ करोड़ और चंद रुपयों से यहां व्यवस्था सुचारू रूप से नहीं चलेगी।
क्योंकि नुक्सान हजारों करोड़ों में हुआ है, ऐसे में देखा जाए तो केंद्र सरकार का फर्ज बनता है कि देश के इस सुंदर राज्य को फिर से खड़ा करें और यहां के लोगों को फिर से पनपने का एक अवसर दें। अभिषेक ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में प्रदेश कांग्रेस ने सराहनीय कार्य किए हंै। सरकार ने न केवल बाढ़ ग्रस्त इलाकों में सहायता पहुंचाई है बल्कि रैस्क्यू ऑप्रेेशन करके पीड़ितों को बाहर भी निकाला है जिससे अनेकों लोगों की जान बची है, हिमाचल में आने वाले लाखों पर्यटकों को सुरक्षित उनके घर पहुंचाया है जोकि काबिले तारीफ है लेकिन प्रदेश सरकार का अपना एक सीमित बजट होता है जिसमें सभी कार्य पूर्ण नहीं हो सकते हैं इसलिए केंद्र सरकार से गुहार लगाई जाती है कि जल्द से जल्द एक अच्छा बजट आपदा प्रबंधन के लिए भेजा जाए ताकि हिमाचल प्रदेश फिर से पहाड़ों की रानी कहलाए और सारी व्यवस्थाएं सुचारू रूप से चल सकें। इसी के साथ ही हिमाचल के लोग अपने कार्यों पर वापस जा सकेंगे, किसान और बागवान अपने खेतों को संभाल सकेंगे जिससे आगे की प्रक्रिया भी व्यवस्थित रूप से चलेगी और हिमाचल फिर से अपने ट्रैक पर वापस आ जाएगा।
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