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सिद्धि योग में अहोई अष्टमी व्रत, 17 अक्तूबर को शाम 5:50 से 7:05 बजे तक रहेगा पूजा का समय
अहोई अष्टमी का व्रत करवा चौथ के चार दिन के बाद रखा जाता है तथा महिलाएं अहोई अष्टमी पर संतान की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत करती हैं। रात में तारों को अघ्र्य देने के बाद व्रत का पालन करती हैं और फिर जल ग्रहण करती हैं। यह व्रत अहोई मैय्या को समर्पित होता है।
ज्योतिष क्षेत्र में अंतराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त जवाली के ज्योतिषी पंडित विपन शर्मा ने बताया कि इस साल 17 अक्तूबर को यह व्रत किया जाएगा। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। मान्यता है कि इस योग में संतान की दीर्घायु के लिए रखा गया व्रत विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
अहोई अष्टमी तिथि कब से कब तक
हिंदू पंचांग के अनुसार 17 अक्तूबर को सुबह 9:29 बजे से कार्तिक कृष्ण अष्टमी का आरंभ हो रहा है। अष्टमी तिथि का समापन 18 अक्तूबर को सुबह 11:57 बजे होगा।
पूजा का शुभ मुहूर्त
अहोई अष्टमी पूजा का समय : शाम 5:50 से 7:05 बजे तक, तारों के दिखने का समय : शाम 6:13 बजे
संतान को इस दिन भला-बुरा न कहें
इस दिन अहोई माता की कथा सुनते वक्त हाथ में कम से कम सात अनाज जरूर लेने चाहिएं। अहोई अष्टमी की पूजा में सभी माताओं को अपने बच्चों को भी साथ में बैठाना चाहिए। अघ्र्य देने के बाद बच्चों का हल्दी से तिलक करके उन्हें प्रसाद जरूर
खिलाना चाहिए।
व्रत का महत्त्व
इस व्रत में चंद्रमा के बजाय तारों को अघ्र्य दिया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महिलाएं इस दिन शिव परिवार की पूजा करने के बाद तारों को अघ्र्य देती हैं। यह व्रत संतान की सलामती के लिए रखे जाने वाले व्रतों में सबसे प्रमुख है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से आपकी संतान को जीवन में कोई कष्ट नहीं होता है और लंबी आयु की प्राप्ति होती है।