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फरीदाबाद का यह इलाका बारिश के बाद बन जाता है तालाब

Admin4
30 July 2022 2:51 PM GMT
फरीदाबाद का यह इलाका बारिश के बाद बन जाता है तालाब
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सुनील गौड़, फरीदाबाद: एनआईटी-2 के ई ब्लॉक की यह तस्वीर देखकर अगर आप समझ रहे हैं कि यहां पिछले एक-दो दिन में मूसलाधार बारिश हुई है तो गलत सोच रहे हैं, क्योंकि यह सीवर का पानी है, जो नाले में नहीं, सड़क पर बह रहा है। यहां के लोग पूरा शहर भले ही पैदल घूम लें, लेकिन अपने ब्लॉक में बाइक या कार से ही चलना पड़ता है। अगर नहीं चले तो त्वचा से जुड़ी बीमारियों का डर रहता है।

ब्लॉक में रहने वाले 33 साल के जितेंद्र भाटिया बताते हैं, जब से होश संभाला है, तब से गली में सीवर का पानी देख रहा हूं। बचपन से जवानी आ गई, लेकिन समस्या जस की तस है। यहां के लोगों को शुक्रवार को 1500 रुपये देकर प्राइवेट टैंकर बुलवा कर सफाई करानी पड़ी। पानी की वजह से लोग अपने घरों में कैद होना पड़ता है। बताया गया कि इस ब्लॉक में 35 परिवार रहते हैं, जो सीवर जाम लगभग 22 साल से जूझ रहे हैं।

बुधवार को लोगों ने इस समस्या को लेकर प्रदर्शन भी किया था। हालात यह है कि लोगों को अपने घरों तक पहुंचने के लिए बाइक व कार का सहारा लेना पड़ता है। अगर वाहन न हो तो कपड़ों को ऊपर कर गंदे पानी से गुजरना पड़ता है। पानी को पार करने के बाद जूते-चप्पल पहनते हैं। इस पानी को देखकर मौत के बाद शोक जताने तक लोग घर नहीं आते, मजबूरन गुरुद्वारे में शोक जताने के लिए व्यवस्था करनी पड़ती है। रिश्ता लेकर आने वाले लोग सीवर का पानी देखकर लौट जाते हैं। इस समस्या का समाधान न होने से लोग मजबूरी में पलायन कर रहे हैं।

माना जाता है पॉश इलाका

यह ब्लॉक एनआईटी का पॉश इलाका माना जाता है। लोग कहते हैं कि वे सीवर जाम को देखते हुए युवा से बूढ़े हो गए, पर सुधार नहीं हुआ। हमेशा पानी जमा होने से घरों में भी रहना दुश्वार हो गया है। वैसे तो सीवर जाम दशकों पुरानी है, लेकिन सबसे अधिक परेशानी 3 महीने से भुगतनी पड़ रही है।

निवासी हरेंद्र सिंह ने कहा कि मैं 22 साल पहले ई-ब्लॉक में आया था। तब से सीवर जाम देख रहा हूं। 21 जनवरी को पत्नी का देहांत हो गया था। लोग पानी देखकर शोक जताने के लिए आने से परहेज करने लगे, जिससे गुरुद्वारे में व्यवस्था करनी पड़ी।

बेचना चाहते हैं घर

निवासी सिमरन कौर ने बताया कि सीवर जाम से परेशान मेरे ससुर व पति अपना मकान बेच कर दूसरी जगह शिफ्ट होना चाहते हैं, लेकिन पानी की वजह से ग्राहक नहीं मिल रहे हैं। अगर ग्राहक मिल रहे हैं तो दाम कम लगाते हैं। इससे यहां रहना मजबूरी हो गया है। बीमार होने का डर है।

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