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कुरुक्षेत्र। वैज्ञानिक डा. रजनीकांत व उनकी टीम द्वारा 2 औषधीय पौधों सुगंध बाला और खस में सार्स-कोव-2 (कोरोना वायरस) से लडऩे वाले एंटीवायरस की खोज की है। दोनों पौधे भविष्य में कोरोना जैसी महामारी से लडऩे व रोकथाम के लिए उपचार में सहायक सिद्ध हो सकते हैं। शोध एवं नवाचार विभाग के वैज्ञानिक डा. रजनीकांत ने बताया कि कोरोना महामारी के समय विश्वविद्यालय द्वारा षडंगपानीय क्वाथ व महासुदर्शन घन वटी को सहायक औषधीय के रूप में कोरोना मरीजों को दिया गया था। जिसके काफी अनुकूल परिणाम सामने आए थे इसलिए रिसर्च व शोध विभाग के वैज्ञानिकों द्वारा षडंगपानीय क्वाथ में प्रयुक्त औषधीय पौधों की प्रतिरक्षा क्षमता को कोरोना वायरस के विरुद्ध जांचने का निर्णय लिया गया।
कुलपति डा. बलदेव कुमार द्वारा एक टीम का गठन किया गया। उस टीम में डा. रजनीकांत व नैशनल इंस्टीच्यूट ऑफ इक्वाइन वायरोलोजी लैब के पिं्रसीपल रिसर्च साइंटिस्ट डा. नवीन कुमार हैं। उन्होंने बताया कि 12 औषधीय पौधों का प्री-क्लीनिकल जांच टीम द्वारा सार्स-कोव-2 (कोरोना वायरस) पर किया गया। शोध में सामने आया कि सुगंध बाला के एथनॉलिक एक्सट्रैक्ट ने 10 माइक्रोग्राम पर एम.एल. कन्सट्रेशन पर लगभग 10 गुना व खस के एथनॉलिक एक्सट्रैक्ट ने 1.5 माइक्रोग्राम पर एम.एल. कन्सट्रेशन लगभग 40 गुना एंटीवायरस एक्टिविटी प्रदॢशत की जो काफी चौंकाने वाला परिणाम है। इसके साथ ही दोनों पौधों की एथनॉलिक एक्सट्रैक्ट की टॉक्सिकोलॉजिकल स्टडी भी कराई गई है जो तय मानकों के अनुसार सुरक्षित पाई गई है। रिसर्च विभाग के डायरेक्टर प्रो. अनिल शर्मा ने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर टीम को शुभकामनाएं दीं। शोध में डा. मनीष कुमार, डा. प्रीति, अदिति व राहुल का सहयोग रहा है।
कोरोना महामारी से बचाव में आयुर्वेद का बड़ा योगदान : कुलपति
कुलपति डा. बलदेव कुमार ने कहा कि कोरोना जैसी भयावह महामारी के बचाव में आयुर्वेद ने अपना बहुत बड़ा योगदान दिया है। षडंगपानीय क्वाथ और महासुदर्शन घनवटी कोरोना वायरस के विरुद्ध लडऩे में सहायक सिद्ध हुई है। आयुर्वैदिक पौधों का समिश्रण भविष्य में कोरोना वायरस से निपटने में सक्षम हो सकते हैं इसीलिए विश्वविद्यालय ने सुगंध बाला और खस दोनों औषधीय पौधों के टेबलैट व सिरप फॉर्मूलेशन के पेटैंट हेतु इंडियन पेटैंट पोर्टल पर आवेदन व पब्लिश भी करा दिया है। दोनों पौधों के लिक्विड व टेबलैट फॉर्मूलेशन को राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को भी दिया गया। उन्होंने रिसर्च व इनोवेशन विभाग द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की है।
Shantanu Roy
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