हरियाणा

चुनाव से पहले संजीवनी

Sonam
26 July 2023 6:48 AM GMT
चुनाव से पहले संजीवनी
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हरियाणा लोकहित पार्टी (हलोपा) के प्रमुख गोपाल कांडा को राजनीति की पिच पर 11 साल बाद नई संजीवनी मिली है। पिछले एक दशक से ज्यादा वक्त से वह राजनीति की मुख्य धारा से कटे हुए थे। भाजपा से नजदीकियों के बावजूद वह कई बड़े मौकों पर पार्टी के कार्यक्रमों से दूर रहे। फिर चाहे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सिरसा रैली हो या पिछले दिनों भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की बैठक। हाल ही में एनडीए की ओर से घटक दलों की जो सूची जारी हुई थी, उनमें हलोपा का भी नाम शामिल था।

गीतिका आत्महत्या के केस का दाग धुलने के बाद अब कांडा फ्रंटफुट पर खेलेंगे। वहीं, भाजपा को भी खुलकर उनका साथ लेने में परहेज नहीं होगा। 27 साल से सिरसा जिले में विधानसभा सीट के लिए तरस रही भाजपा की ख्वाहिश को पूरा करने में गोपाल उनके सारथी बनेंगे।

हरियाणा की सियासत में गोपाल कांडा की प्रासंगिकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य में किसी भी पार्टी की सत्ता हो, उसमें उनकी भूमिका अहम रही है। साल 2000 में जब राज्य में इनेलो सत्ता में थी, तब कांडा चौटाला परिवार के काफी करीब थे। 2009 में जब भूपेंद्र सिंह हुड्डा दोबारा राज्य के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने गोपाल कांडा को गृह राज्य मंत्री बनाया।

गीतिका आत्महत्या मामले में नाम आने के बाद उन्हें मंत्री पद गंवाने के साथ जेल जाना पड़ा। 13 महीने जेल में रहने के बाद भी उनके सितारे गर्दिश में रहे। साल 2014 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने हलोपा के बैनर तले चुनाव लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा।

सहयोगी दलों के बनते रहे संकट मोचक

साल 2009 में जब हुड्डा की कांग्रेस सरकार बहुमत से दूर थी तो गोपाल कांडा ने ही निर्दलीय विधायकों का सरकार के लिए समर्थन जुटाने में अहम भूमिका निभाई थी। ईनाम के तौर पर हुड्डा सरकार में उन्हें गृह राज्य मंत्री बनाया गया। साथ ही दबदबे वाले मंत्रालय निकाय, वाणिज्य व उद्योग दिया गया। इसी तरह से साल 2019 में जब भाजपा सरकार को बहुमत की जरूरत थी, तो सबसे पहले कांडा ने ही समर्थन देने की बात कही थी। साल 2022 के राज्यसभा चुनाव, जो मनोहर लाल की सरकार के लिए प्रतिष्ठा का सवाल था, उस दौरान भी गोपाल कांडा ने अहम भूमिका निभाते हुए भाजपा के समर्थक उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा को वोट दिया था।

लोकसभा जैसा रिजल्ट चाहिए 2014 के बाद 2019 में भाजपा ने दूसरी बार सिरसा लोकसभा सीट जीती थी। लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की नौ सीटें हैं। इनमें भाजपा के पास केवल दो सीट हैं, जो फतेहाबाद जिले में आती हैं। सिरसा लोकसभा क्षेत्र में नौ कमल खिलाने का लक्ष्य पूरा करने के लिए रणजीत सिंह चौटाला के साथ भाजपा गोपाल कांडा को भी साथ लेकर चलेगी।

भाजपा में आस्था रखने वाले और जनहित में कार्य करने वाले हर व्यक्ति का पार्टी में स्वागत है। गोपाल कांडा का परिवार समाजसेवा से जुड़ा रहा है। अगर भाजपा में आते हैं तो उनका स्वागत है।

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