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हरियाणा के लिए राहुल का संदेश : 'जय जवान, जय किसान, जय पहलवान'

Rani Sahu
10 Jan 2023 3:13 PM GMT
हरियाणा के लिए राहुल का संदेश : जय जवान, जय किसान, जय पहलवान
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करनाल, (आईएएनएस)| हरियाणा में भारत जोड़ो यात्रा के 8 दिन पूरे होने पर राहुल गांधी ने भारी समर्थन के लिए लोगों को धन्यवाद दिया और एक नया नारा दिया- 'जय जवान, जय किसान, जय पहलवान।' हरियाणा में बड़ी संख्या में पहलवान हैं, जिन्होंने देश के लिए पदक जीते हैं।
उन्होंने कहा, "मैं विशेष रूप से उन लाखों लोगों को धन्यवाद देता हूं, जो पानीपत में हमारी जनसभा में शामिल हुए और ठंड, कोहरे का सामना करते हुए बड़ी संख्या में महिलाओं और युवाओं ने यात्रा में भाग लिया। हमने हरियाणा की विविधता को देखा है। नूंह और करनाल के हरे-भरे मैदान, फरीदाबाद और अंबाला के जीवंत औद्योगिक केंद्र और भारत के ऐतिहासिक स्थल कुरुक्षेत्र और पानीपत की संस्कृति देखी।"
राहुल ने कहा कि मेवात दिवस मनाने के लिए नूंह जिले के घासेरा गांव के निवासियों से मिलना उनके लिए सम्मान की बात है, जहां कभी महात्मा गांधी और सीमांत गांधी अब्दुल गफ्फार खां पहुंचे थे।
उन्होंने कहा, "विभाजन के दौरान मेवातियों को आश्वस्त करने का गांधीजी का कार्य हमें भारत जोड़ो के सही अर्थ की याद दिलाता है।"
राहुल गांधी ने कहा कि हरियाणा के लोगों को एक अच्छे जीवन के लिए हर चीज की जरूरत है, लेकिन उनका आरोप है कि उनकी क्षमता बर्बाद हो रही है, उन्हें काम नहीं मिल रहा है। हरियाणा के किसानों ने तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ ऐतिहासिक आंदोलन का नेतृत्व किया और कई शहीद हुए, फिर भी कृषि संकट बना हुआ है।
उन्होंने कहा, "दूध, दही और गुड़ की भूमि में यह एक त्रासदी है कि किसानों के बच्चे अब किसान नहीं बनना चाहते। महत्वाकांक्षी युवाओं के लिए कोई अन्य विकल्प नहीं हैं। हरियाणा में युवा बेरोजगारी दर सबसे अधिक है और युवा हताश दिखते हैं।"
राहुल ने कहा कि हरियाणवी युवाओं ने लंबे समय तक खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, लेकिन यह रास्ता भी बंद हो रहा है, अकादमियां बंद हो रही हैं और जनता का समर्थन कम हो रहा है।
उन्होंने कहा, "लोग शिकायत कर रहे हैं कि सरकार व्यवस्थित रूप से हिंदुओं, मुसलमानों और सिखों के बीच, किसानों और गैर-किसानों के बीच और विभिन्न जातियों के लोगों के बीच विभाजन फैला रही है।"
राहुल ने कहा कि पिछले दशकों की सरकारों ने विकास के बीज बोए थे, जो अब फल दे रहे हैं। मगर दुख की बात है कि आज की सरकार 'नफरत का बाजार' बनाने में लगी है।
--आईएएनएस
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