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हरियाणा सरकार को दिए कड़ी कार्रवाई के आदेश, बड़े अस्पतालों में गरीबों को मुफ्त इलाज न मिलने पर हाई कोर्ट सख्त

Gulabi Jagat
27 Jun 2022 5:17 PM GMT
हरियाणा सरकार को दिए कड़ी कार्रवाई के आदेश, बड़े अस्पतालों में गरीबों को मुफ्त इलाज न मिलने पर हाई कोर्ट सख्त
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हरियाणा सरकार
गरीबों के मुफ्त इलाज का वादा कर सरकार से सस्ती जमीन लेकर तमाम सुविधाओं वाले बडे़-बड़े अस्पताल खोलने और उनमें गरीबों को मुफ्त इलाज नहीं दिए जाने पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है।
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि शंकर झा पर आधारित बेंच ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) को आदेश दिया है कि भविष्य में अगर ऐसे अस्पतालों के खिलाफ कोई शिकायत आती है तो उनके विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाए।
हरियाणा सरकार चाहे तो ऐसे अस्पतालों के विरुद्ध आने वाली शिकायत में सच्चाई पाए जाने पर अस्पतालों का पंजीकरण तक रद किया जा सकता है और उनसे सरकार अपनी जमीन वापस ले सकती है।
हाई कोर्ट ने एचएसवीपी को अस्पतालों द्वारा गरीब लोगों के इलाज में की जाने वाली अनदेखी से जुड़े मामलों पर निगाह रखने को कहा है। मामले की सुनवाई के दौरान प्रतिवादी निजी अस्पतालों ने कोर्ट में जवाब दायर कर अपने ऊपर लगे आरोपों को नकारा है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि याचिका 2015 में दायर की गई थी। अब इस याचिका की उपयोगिता समाप्त हो गई है। एचएसवीपी से इस मामले में जवाब मांगा गया था, लेकिन एचएसवीपी ने कोई जवाब दायर नहीं किया।
कोर्ट ने याची को छूट दी है कि अगर उसे कहीं भी नियमों के उल्लंघन की जानकारी मिलती है तो वह सरकार को इसकी जानकारी दे सकता है और अधिकारी नियमों के अनुसार संबंधित अस्पताल पर कार्रवाई करेंगे।
गुरुग्राम निवासी असीम तकयार की ओर से याचिका दाखिल करते हुए कहा गया था कि हरियाणा में एचएसवीपी द्वारा कई बड़े अस्पतालों के निर्माण के लिए उन्हें सस्ते दामों पर भूमि आवंटित की जाती है।
भूमि आवंटन के समय यह शर्त रखी गई थी कि भूमि लेने वाले अस्पतालों में 20 प्रतिशत बेड पर गरीबों का इलाज होगा। उनसे सामान्य शुल्क का केवल 30 प्रतिशत ही लेना होगा। साथ ही अस्पताल की ओपीडी में 20 प्रतिशत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों का फ्री इलाज करना होगा।
याची ने सूचना के अधिकार के तहत सरकार से जानकारी मांगी थी कि क्या यह अस्पताल भूमि आवंटन के दौरान के नियमों का अनुपालन कर रहे हैं, जिसके जवाब में सरकार के पास नाममात्र की जानकारी मौजूद थी।
हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि यह बहुत अहम और गंभीर मुद्दा है। इसे हलके में नहीं लिया जाना चाहिए। फ्री ओपीडी तो क्या गरीब लोगों को तो ऐसे बड़े-बड़े अस्पतालों की इमारत देखने में भी डर लगता हैं। इलाज के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती है।
हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार के काउंसिल से पूछा कि क्या सस्ती जमीन अलाट करने के बाद सरकार द्वारा ऐसा कोई प्रयास किया गया है या कोई सर्वे किया गया है, जिससे पता लगाया जा सके कि इन अस्पतालों में गरीब लोगों को फ्री ओपीडी मिल रही है या नहीं।
साथ ही कुल बेड़ की 20 प्रतिशत सीटों को सामान्य खर्च के 30 प्रतिशत भुगतान पर मुहैया करवाया जा रहा है या नहीं। लेकिन सरकार कोर्ट में कोई जवाब दायर नहीं कर सकी।
हाई कोर्ट ने मामले में हरियाणा सरकार के स्वास्थ्य सेवा निदेशक, गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल, आर्टेमिस मेडिकेयर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, एस्टेट आफिसर हुडा व सिविल सर्जन गुरूग्राम को नोटिस जारी किया था।
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