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यमुनानगर। गुरु नानक खालसा कॉलेज के लोक प्रशासन विभाग द्वारा विकेन्द्रित लोकतंत्र समस्या एवं संभावनाएं* ऑनलाइन विस्तार व्याख्यान का आयोजन शनिवार (Saturday) को किया गया. इस मौके पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के लोकप्रशासन विभाग पूर्व अध्यक्ष तथा लोकप्रशासन एवं राजनीति शास्त्र के सुप्रसिद्ध विद्वान प्रोफेसर मोहिंदर सिंह मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे.
अपने संबोधन में उन्होंने लोकतंत्र के विकेन्द्रीकरण मे पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय संविधान के 73वें संविधान संशोधन के द्वारा पंचायती राज व्यवस्था को पहली बार संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया था. ऐसा इसलिए ताकि निचले स्तर से प्रारंभ कर उपरी स्तर तक न केवल विकेन्द्रीकरण की प्रक्रिया को सुचारू रूप दिया जा सके. बल्कि पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत और प्रभावी बनाया जा सके. प्रोफ़ेसर सिंह ने कहा कि यद्यपि यह व्यवस्था ठीक चल रही है. मगर अभी इसमे सुधार की गुंजाइश बनी हुई है .
पंचायती राज व्यवस्था के हर स्तर पर महिलाएं चुनी जाती हैं. मगर निर्वाचित महिलाओं की जगह उनके पति,बेटे,भाई और पिता पंचायती राज संस्थाओं को चला रहे हैं. कमोबेश यही स्थिति नगरीय निकायों मे भी व्याप्त है, जिसे ठीक करने की बहुत जरूरत है. उन्होंने मौके पर पंचायती राज संस्थाओं सामुदायिक विकास संस्थान,बलवंत राय मेहता, अशोक मेहता समिति तथा अन्य प्रयासों की जानकारी देते हुए बताया की स्वतंत्रता के बाद नीति निर्माताओं ने पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत बनाने के लिए अनेक गंभीर प्रयास किए गए. मगर नौकरशाही आदतों के कारण सभी प्रयासों मे विपरीत असर पडा तथा विकेन्द्रित लोकतंत्र का लक्ष्य हासिल नहीं हो पाया. जिसके बाद 1992 के 73 वें संविधान संशोधन के द्वारा हद तक ठीक करने का प्रयास किया गया. मंच संचालन डॉ. पायल लांबा ने किया. इस अवसर पर सभी शिक्षक और विद्यार्थी भी उपस्थित थे .
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