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हाइजेनिक सर्टिफिकेट की वैलिडिटी बढ़ाने को लेकर गृह मंत्री से मिले निसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष
Shantanu Roy
9 Oct 2022 5:25 PM GMT
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चंडीगढ़। प्रदेश के निजी स्कूलों को फायर सर्टिफिकेट की तर्ज पर हाइजेनिक सर्टिफिकेट की वैलिडिटी भी 3 साल के लिए करने की मांग को लेकर "निसा" के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा के नेतृत्व में निजी स्कूल संचालकों का एक प्रतिनिधिमंडल प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज से मिला। स्कूल संचालकों की इस मांग को लेकर विज ने पूरा आश्वासन दिया। बता दें कि यह सर्टिफिकेट स्वास्थ्य विभाग द्वारा निजी स्कूल को लेना अति आवश्यक होता है जोकि विभाग 1 साल के लिए जारी करता है। 1 साल बीतने के बाद यह सर्टिफिकेट फिर से रिन्यू पड़ता है। जिसके लिए कई-कई दिन तक स्कूल संचालकों को विभाग के चक्कर लगाने पढ़ते हैं। हर साल की समस्या के निदान के लिए पूर्व संचालकों का यह डेलिगेशन अनिल विज से मिलने चंडीगढ़ पहुंचा था। क्योंकि इससे पहले फायर सर्टिफिकेट की भी वैलिडिटी 1 वर्ष के लिए होती थी। इस बड़ी परेशानी का समाधान उस वक्त भी कैबिनेट मंत्री अनिल विज द्वारा की किया गया था। इसलिए एक बड़ी उम्मीद की किरण अनिल विज में दिख रही हैै।
प्रदेशभर के स्कूलों में लाइब्रेरी को सशक्त करने का काम करेगी "निसा"
बच्चों को अच्छी किताबें पढ़ने की आदत डालने को लेकर प्रदेशभर में हर विद्यालय-हर पुस्तकालय कार्यक्रम के तहत "निसा" एक मुहिम चलाने जा रही है। जिसकी शुरुआत अंबाला जिले के 100 स्कूलों से की जाएगी। इस कार्यक्रम के तहत "निसा" के स्कूलों में लाइब्रेरी को सशक्त करने का काम "निसा" करेगी। जिससे रीडिंग की छूट चुकी आदत को फिर से अपनाने की ओर बच्चे अग्रसर हो, "निसा" के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने बताया कि रिसर्च में सामने आया है कि बच्चे अच्छी किताबों से मिलने वाली शिक्षाओं से लगातार वंचित हो रहे हैं। लंबे समय तक कोविड का भी बुरा असर बच्चों के भविष्य पर पढ़ रहा है। बच्चों में सामाजिक ज्ञान की भी कमी देखने को मिल रही है। इसलिए एक नई शुरुआत करते हुए इस मुहिम को प्रदेशभर में चलाने का काम "निसा" करेगी।
फर्जी एसएलसी मामले में कुछ स्कूलों के जुर्माने माफ करने की भी मांग की "निसा" ने
"निसा" का एक डेलिगेशन पिछले दिनों एक महत्वपूर्ण विषय को लेकर प्रदेश के शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर से चंडीगढ़ और फिर भिवानी में मुलाकात कर चुका है। जिस पर जानकारी देते हुए शर्मा ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा एसएलसी (स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट) को लेकर प्रदेश के कुछ निजी स्कूलों पर एक लाख रुपए के भारी-भरकम जुर्माना लगाए गए थे। जिसमें कुछ स्कूलों द्वारा यह गलती से त्रुटि हुई थी। ऐसे स्कूलों पर से यह जुर्माना हटाए जाने की मांग हमने की थी। जिस पर गुर्जर ने हमारी मांग को मानते हुए विभाग को फॉरवर्ड किया और साथ ही भिवानी बोर्ड को भी ऐसे मामले को गंभीरता से देखते हुए राहत देने की बात कही थी।
बता दें कि हरियाणा बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन ने अन्य कई राज्यों के एसएलसी की जांच करवाई थी। जिसमें 142 स्कूलों के 645 छात्रों के फर्जी एसएलसी पाए। इतना ही नहीं 2582 बच्चों ने एसएलसी भी अपलोड नहीं किया था। ऐसे में इन सबका परिणाम रोक दिया गया है। जिन स्कूलों के बच्चों को फर्जी एसएलसी मिला, उनका पूरा रिजल्ट रोक दिया गया था। ऐसे में बोर्ड ने करीब छह हजार बच्चों का रिजल्ट रोक दिया था। साथ ही इन स्कूलों पर एक से तीन लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया गया है।जुर्माना भरने के बाद ही परिणाम घोषित किया जाएगा। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में फर्जी एसएलसी का बड़ा खेल सामने आया था। हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड ने राज्य के सरकारी और गैर-सरकारी स्कूलों के नौवीं से 12वीं कक्षा तक के अन्य राज्यों के छात्रों के नामांकन रिटर्न के साथ एसएलसी और प्रमाण पत्र अपलोड किए थे। इनकी जांच के लिए बोर्ड के अधिकारियों की टीम गठित की गई थी। जहां एसएलसी थे, वहां टीमें भेजी गईं।बोर्ड की टीमें उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, झारखंड, उत्तराखंड, गुजरात, बिहार, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल के विभिन्न राज्यों में गईं। हरियाणा बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन के चेयरमैन प्रो. जगबीर सिंह ने सरकार को सूचना देने के बाद इसका खुलासा किया था।
निजी स्कूल में दाखिला लेने वाले बच्चों के लिए ओटीपी बनी एक समस्या: कुलभूषण शर्मा
साथ ही शर्मा ने बताया कि शिक्षा मंत्री ने हमारी मांग अनुसार निदेशालय के संज्ञान में एक और गंभीर मामला लाया है। जिसमें आज एक बड़ी समस्या निजी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के सामने आ रही है। ओटीपी के कारण एडमिशन नहीं हो पाना एक बड़ी समस्या है। शिक्षा के अधिकार के इस युग में बच्चे दाखिला नहीं ले पा रहे। ऐसी पॉलिसी केवल हरियाणा में ही देखने को मिली है कि परिवार पहचान पत्र से ओटीपी को जोड़ा गया है और परिवार पहचान पत्र में रजिस्टर्ड मोबाइल में ओटीपी का आना जो कि अभिभावकों के पास रहता है, एक बड़ी समस्या है। जबकि सरकारी स्कूलों में दाखिला लेने वाले बच्चों का ओटीपी हेड मास्टर या अध्यापक के पास आता है। इस प्रकार की पद्धति का समाधान होना चाहिए। इसके साथ-साथ शर्मा ने कहा कि प्रदेश को शिक्षित करने में निजी स्कूल अध्यापकों का भी महत्वपूर्ण रोल है। इसलिए टीचर डे के अवसर पर 50 फीसदी निजी अध्यापकों को भी सम्मानित किया जाना चाहिए। इस पर भी मंत्री ने सहमति दी है।
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