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अब हिमाचल पहुंचा लंपी वायरस, शिमला-सोलन में पशुओं की मौत

Rani Sahu
7 Aug 2022 11:22 AM GMT
अब हिमाचल पहुंचा लंपी वायरस, शिमला-सोलन में पशुओं की मौत
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अब हिमाचल पहुंचा लंपी वायरस
शिमला (कुलदीप): पशुओं में होने वाला लंपी वायरस (लंपी स्किन डीजीज) पंजाब से हिमाचल प्रदेश पहुंच गया है। इस बीमारी के कारण अब तक शिमला व सोलन जिला में कई पशुओं की मौत हुई है। इसमें अब तक शिमला और सोलन जिला में 11 पशुओं की मौत हो चुकी है। वहीं 207 पशु संक्रमित हैं। शिमला में इसका एपिक सैंटर चैली गांव पाया गया है, जहां पर पंजाब से 1 गाय को लाया था। पंजाब से लाई गई इस गाय की इस बीमारी से मौत हो गई तथा उसके बाद यह वायरस दूसरे पशु में चल गया। चैली के बाद यह मामला शिमला के उपनगर शोघी से सटी थड़ी पंचायत में सामने आया है। यहां पर पवाड़ गांव में 1 गाय की मौत हुई है। इसके बाद प्रभावित क्षेत्र एवं पंचायत में पशुओं का टीकाकरण किया जा रहा है। यह वायरस मुख्य रूप से अधिक दूध देने वाले, छोटे व बूढ़े पशुओं को अपनी चपेट में ले रहा है। जिन पशुओं की इम्युनिटी कमजोर है, वह इसकी चपेट में आ रहे हैं।
कुछ साल पहले मुंह-खुर की बीमारी से हो चुकी है 50 पशुओं की मौत
शिमला के उपनगर शोघी से लगती थड़ी पंचायत में जहां इस वायरस के लक्षण देखे गए हैं, वहां पर कुछ साल पहले मुंह-खुर की बीमारी से करीब 50 पशुओं की मौत हो चुकी है। उस समय भी पंचायत स्तर पर पशुओं का टीकाकरण किया गया था तथा महीनों बाद इस पर काबू पाया जा सका था।
क्या है लंपी वायरस
लंपी स्किन डीजीज यानि लंपी वायरस के कारण पशुओं के शरीर में गांठें बन जाती हैं। इससे पशुओं को बुखार आता है और उनका वजन कम हो जाता है। पशुओं को सही समय पर उपचार न मिलने से उनकी मौत हो जाती है। यह वायरस मच्छरों, मक्खियों, जूं व पीसू से दूसरे पशु में जाता है। इस वायरस के होने पर पशुओं को आइसोलेट करने यानि दूसरे पशुओं से अलग करने की सलाह दी जाती है। हालांकि संतोष की बात यह है कि यह बीमारी पशुओं से लोगों को नहीं आती और न ही संक्रमित पशुओं का दूध पीने से किसी तरह की हानि होती है।
पशुओं का किया जा रहा टीकाकरण : सेन
पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डाॅ. एसएस सेन ने संपर्क करने पर माना कि शिमला व सोलन जिला के कुछ स्थानों पर पशुओं में लंपी स्किल डिजीज देखी गई है। इसके बाद प्रभावित क्षेत्र में पशुओं का टीकाकरण किया जा रहा है। उन्होंने पशुपालकों को सलाह दी कि यदि किसी जगह पशु में ऐसे लक्षण दिखाई दें तो तुरंत पशु चिकित्सकों से इसका उपचार करवाएं।

सोर्स- punjab kesari

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