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चंडीगढ़, (आईएएनएस)| हरियाणा प्राकृतिक खेती को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दे रहा है। राज्य के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने गुरुवार को कहा है कि किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास भी किए जा रहे हैं। मुख्य सचिव संजीव कौशल ने प्राकृतिक खेती पर समीक्षा बैठक के दौरान कहा कि समय-समय पर प्राकृतिक खेती के सकारात्मक परिणामों की जानकारी मिल रही है। पर अभी तक इसकी खेती पर कहीं भी वैज्ञानिक रिसर्च पत्र उपलब्ध नहीं हो पाए हैं।
उन्होंने कहा कि हरियाणा को इस दिशा में कदम उठाना होगा और प्राकृतिक खेती पर एक वैज्ञानिक शोध पत्र तैयार करना होगा। जिसमें पूरी प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी उपलब्ध होगी। कौशल ने कहा कि इस संबंध में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति एवं अनुसंधान निदेशक के साथ बातचीत करके इसे जल्द लागू किया जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि कम कृषि लागत और कम लागत के साथ प्राकृतिक खेती धीरे-धीरे समय की जरूरत बनती जा रही है। किसान इस प्रणाली को अपना कर जैविक उत्पादन बढ़ा सकते हैं और अपनी आय बढ़ा सकते हैं। प्राकृतिक खेती का उद्देश्य रसायन मुक्त कृषि, जलवायु के अनुकूल खेती को बढ़ावा देना है।
पा्रकृतिक खेती के लिए किसानों को सरकार द्वारा जागरूक एवं प्रशिक्षित भी किया जा रहा है। वर्तमान में दो केंद्रों कुरूक्षेत्र के गुरुकुल एवं करनाल के घरौंदा में किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके अलावा तीन और प्रशिक्षण केंद्र चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार, हमीती जींद और मंगियाना सिरसा में जल्दी स्थापित किए जाएंगे।
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए देशी गाय की खरीद पर 25 हजार रुपये की सब्सिडी दी जा रही है और किसानों को जीवामृत समाधान तैयार करने के लिए चार ड्रम खरीदने पर 3 हजार रुपये की सहायता दी जा रही है। इस तरह की पहल करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य है। रिपोर्ट के अनुसार, ग्राहकों के लिए उत्पाद की वास्तविकता के किसी भी संदेह को रोकने के लिए प्राकृतिक कृषि उत्पादों को सीधे किसानों के खेतों से पैक्ड किया जाएगा।
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