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अम्बाला। वर्ष 2017 से हरियाणा एवं पंजाब हाईकोर्ट में विचाराधीन एक मामले में कोर्ट ने हरियाणा पुलिस महानिदेशक (डी.जी.पी.) पी.के. अग्रवाल पर 25 हजार रुपए जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने आदेशों में कहा है कि डी.जी.पी. के वेतन से 25 हजार रुपए काटकर चंडीगढ़ पी.जी.आई. के गरीब रोगी कल्याण कोष में जमा करवाएं जाने चाहिए। इसके साथ ही अगली तारीख पर सुनवाई के दौरान डी.जी.पी. की ओर से एफिडेविट जमा करवाने का भी आदेश दिया। हालांकि, सरकारी अधिवक्ता ने कोर्ट से हल्फनामा जमा करवाने के लिए अगली तारीख मांगी लेकिन कोर्ट ने अपने आदेशों में स्पष्ट किया कि हल्फनामा दायर करने के लिए अगली तारीख दिए जाने का अब कोई आधार ही नहीं बनता है, इसलिए उन पर जुर्माना लगाया जाता है।
दरअसल, वर्ष 2017 में हाईकोर्ट में याचिकाकर्त्ता अजय कुमार द्वारा याचिका दायर की गई थी, जिसमें उसने हरियाणा सरकार, पुलिस महानिदेशक सहित अन्य को पार्टी बनाया था। याचिकाकर्त्ता की आंखों में दिक्कत बताते हुए अनफिट बताया गया था। इस मामले में हाईकोर्ट ने याचिका के आधार पर चंडीगढ़ पी.जी.आई. के डाक्टरों के बोर्ड का गठन करके उससे मामले की जांच करवाने के आदेश दिए। इसके बाद पी.जी.आई. प्रशासन द्वारा बोर्ड का गठन किया गया और डाक्टरों की टीम द्वारा याचिकाकर्ता की जांच की गई।
इसके बाद हाईकोर्ट के आदेशानुसार पी.जी.आई. एम. ई. आर. चंडीगढ़ में गठित डाक्टरों के बोर्ड द्वारा अपनी रिपोर्ट में कहा गया है कि याचिकाकर्ता के पास अन्यथा दोनों आंखों में 6/6 दृष्टि ठीक है। रंग की पहचान, वह सभी आकार के छिद्रों के साथ लाल रंग की पहचान करने में सक्षम था और हरे रंग के संबंध में वह 5 मीटर की दूरी पर 13 मिमी, 6 मिमी और 3 मिमी के एपर्चर आकार के साथ इसकी पहचान करने में सक्षम था। अंत में, बोर्ड की सिफारिश है कि वह रंग बोध के निचले दर्जे का था, जो उसे गैर-तकनीकी सेवाओं में रोजगार के लिए योग्य बनाता है, लेकिन तकनीकी सेवाओं रोजगार के लिए समझदार है।
बोर्ड द्वारा दी गई मैडीकल रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट ने संबंधित प्राधिकारी का एक हल्फनामा दायर करने का निर्देश दिया गया है कि याचिकाकर्ता कांस्टेबल के रूप में रोजगार के लिए किस तरह से योग्य होगा। हाईकोर्ट ने यह आदेश 6 दिसम्बर 2017 को जारी किया और अगली तारीख 21 फरवरी 2018 को यह हल्फनामा हाईकोर्ट में दाखिल किया जाना था। हरियाणा सरकार व पुलिस विभाग की ओर से यह हल्फनामा हरियाणा पुलिस महानिदेशक द्वारा दायर किया जाना था।
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