चंडीगढ़: हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण अधिनियम 2020 (Haryana Water Resources Authority Act) की धारा-18 में संशोधन किया गया है. अब प्राधिकरण द्वारा बल्क और उपचारित अपशिष्ट जल के लिए शुल्क का निर्धारण किया जाएगा. संशोधन के अनुसार, प्राधिकरण मितव्ययता, दक्षता, समानता और स्थिरता के सिद्धांतों और सतही जल और उपचारित अपशिष्ट जल के अत्यधिक मात्रा में उपयोग के लिए दरें तय करेगा. ये दरें पानी की खपत के आधार पर तय होंगी. प्राधिकरण व्यक्तिगत घर, उद्योग या वाणिज्यिक प्रतिष्ठान के लिए पानी के उपयोग के हिसाब से पानी की खुदरा दरें भी तय करेगा.हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022- हरियाणा नगर निगम विधेयक (Haryana Municipal Corporation Amendment Bill), 1994 की धारा 330, 331, 335, 336 तथा 352 के साथ द्वितीय और तृतीय अनुसूची में संशोधन किया गया है. वित्त विभाग द्वारा सूचित किया गया कि पालिका क्षेत्रों में स्थित अचल सम्पत्तियों के पंजीकरण पर दो प्रतिशत स्टाम्प शुल्क सम्बन्धित नगर निगम या शहरी स्थानीय निकाय विभाग को एक-एक प्रतिशत की दर से समान रूप से सीधे तौर पर स्थानांतरित किया जाएगा. इस प्रक्रिया को 1 अप्रैल, 2021 से लागू किया गया था. इससे पहले शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा पालिकाओं स्टाम्प शुल्क दिया जा रहा था.हालांकि प्रधान महालेखाकार (लेखा परीक्षा), हरियाणा ने अपनी निरीक्षण रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा नगर निगम तथा निदेशालय को वितरित किए जा रहे स्टाम्प शुल्क की प्रक्रिया उचित नहीं है क्योंकि अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार स्टाम्प शुल्क सम्बन्धित नगर निगम को ही दिया जाना है. इस विसंगति को दूर करने तथा इस सम्बन्ध में सरकार
द्वारा जारी अधिसूचनाओं में अनुरूपता लाने के लिए हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 1994 की धारा 87 की उप-धारा (1) के खंड (ग) में संशोधन की आवश्यकता महसूस की गई. हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1904 में व्यापार/व्यावसायिक लाइसेंस के प्रावधान पंजाब नगरपालिका अधिनियम, 1911 के अनुरूप हैं.उस दौरान केवल पालिका ही नियामक प्राधिकरण होती थी जबकि आज के समय में कई नियामक प्राधिकरण जैसे कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, कारखाना औद्योगिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य इत्यादि ने अधिनियम, 1948 के अंतर्गत स्थान ले लिया है. अति ज्वलनशील सामग्रियां भी अधिकृत प्राधिकारी द्वारा अलग कानून के अंतर्गत विनियमित हैं. इस प्रकार अन्य वैधानिक प्राधिकारियों द्वारा विनियम किये जाने वाले उद्योगों को पालिकाओं द्वारा भी लाइसेंस जारी करने का कोई औचित्य नहीं है.हरियाणा नगर निगम अधिनियम 1994 की सम्बन्धित धाराओं में व्यापार/व्यावसायिक लाइसेंस प्राप्त करने व इनके वार्षिक आधार पर नवीनीकरण करवाने का प्रावधान है. वर्तमान में नगर निगमों को अपने सदन की बैठकों में प्रस्ताव पास करके व्यापार/व्यवसायिक लाइसेंस फीस की दर निर्धारित करने की शक्तियां प्राप्त हैं. इससे राज्य की नगर निगमों में व्यापार/व्यवसायिक लाइसेंस फीस का निर्धारण करने में भिन्नताएं हो गई हैं, जिससे जन-साधारण में भ्रांति होती है.राज्य के सभी नगर निगमों में व्यापार/व्यवसायिक लाइसेंस फीस की दर निर्धारित करने में एकरूपता लाने तथा इनकी अनिवार्यता को सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट ऐसे प्रयोजन, जो जीवन, स्वास्थ्य या सम्पत्ति के लिए खतरनाक हों या जिससे उत्पात उत्पन्न होने की सम्भावना हो, तक लागू रखने की अति आवश्यकता है. यह नियामक प्राधिकरणों की बहुलता को समाप्त करके शहरी क्षेत्रों में व्यावसायिक गतिविधियों को आसान करेगा. इसके अतिरिक्त, पशु-पक्षियों को नगर निगमों की सीमा में रखने और पालने की पाबंदियों के लिए प्रावधान किया गया है.
हरियाणा नगरपालिका (संशोधन) विधेयक-2022- हरियाणाा नगरपालिका अधिनियम, 1973 (Haryana Municipal Amendment Bill passed), को संशोधत करने के लिए हरियाणा नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2022 पारित किया गया. अधिकांश नगरपरिषदों के क्षेत्रफल व जनसंख्या में वृद्धि हुई है, जिससे कार्यों एवं निगरानी का दायरा कई गुणा बढ़ गया है. इसलिए नगरपरिषद का सम्पूर्ण कार्य एक वरिष्ठ स्तर के अधिकारी को सौंपे जाने की आवश्यकता है, जो इन नगरपरिषदों के कार्याे को कुशलता एवं समयबद्ध तरीके से कर सके. इसलिए संबंधित जिला नगर आयुक्त, जिला मुख्यालय की नगरपरिषद का मुख्य कार्यकारी अधिकारी होगा तथा संबंधित मंडल आयुक्त को जिला मुख्यालय की नगरपरिषद के मामले में अपीलीय तथा अन्य शक्तियां जो कि वर्तमान में जिला नगर आयुक्त के पास हैं, सौंपी जाएंगी.हरियाणा माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक 2022- हरियाणा माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 (अधिनियम) को राज्य सरकार द्वारा माल या सेवाओं या दोनों की आपूर्ति पर कर लगाने और संग्रह के उद्देश्य से अधिनियमित किया गया था. वित्त अधिनियम, 2022 (2022 का केन्द्रीय अधिनियम 6) के द्वारा केन्द्रीय माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 में किए गए संशोधनों की तर्ज पर हरियाणा माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 में भी संशोधन की आवश्यकता थी. यह संशोधन जीएसटी परिषद की सिफारिशों पर किया गया है. चूंकि जीएसटी कानून केन्द्र सरकार तथा राज्यों द्वारा समान रूप से लागू किया जाता है, इसलिए वित्त अधिनियम, 2022 में पहले से ही हो चुके संशोधन की तर्ज पर हरियाणा माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 में संशोधन अपेक्षित था.