एलएंडटी कंपनी के टोल प्लाजा पर शहरवासी औसतन डेढ़ से दो लाख रुपये प्रतिमाह टोल टैक्स का भुगतान कर रहे हैं। वहीं रोजाना की आमदनी 25 से 30 लाख रुपये तक हो रही है। 2008 में टोल प्लाजा का निर्माण होने के 15 साल बीतने पर भी ओवरब्रिज पर कट नहीं खुल पाया। इससे शहरवासी परेशान हैं। किसान आंदोलन के दौरान साल भर टोल प्लाजा बंद रहा तो एलएंडटी कंपनी ने अनुबंध की समय अवधि एक साल और बढ़वा ली। अब जनवरी 2026 के बजाय जनवरी 2027 तक कंपनी शहर में टोल वसूलेगी। दूसरी ओर शहरवासी पंजाब की तर्ज पर टोल हटाने की मांग कर रहे हैं।
जुलाई 2008 में 421.50 करोड़ से तैयार हुआ था ओवरब्रिज, 2026 तक का है करार
जुलाई 2008 में 421.50 करोड़ रुपये की लागत से ओवरब्रिज का निर्माण कराया गया था। तब से सेक्टर-18 के पास एलएंडटी कंपनी ने टोल वसूली शुरू की। पहले महीने कंपनी का 1.41 करोड़ का कलेक्शन हुआ, जो बढ़कर 8.50 करोड़ रुपये प्रतिमाह का आंकड़ा पार कर चुका है।
स्थानीय वाहन चालकों के आईडी दिखाने के बाद भी टोलकर्मी टोल भुगतान में छूट देने के बजाय कार्रवाई की धमकियां देते हैं। इसके कारण पिछले 15 साल से शहरवासी ओवरब्रिज की वजह से जीटी रोड पर लगने वाला जाम झेल रहे हैं। हाल ही में पंजाब सरकार ने अपने विभिन्न शहरों से 11 टोल प्लाजा हटाए हैं। इसलिए अब क्षेत्र के लोगों ने प्रदेश सरकार से टोल बंद करने की मांग की है।
लागत से ज्यादा वसूला, फिर क्यों बढ़ाया अनुबंध
एलएंडटी कंपनी का टोल प्लाजा को जनवरी 2026 तक चलाने के लिए करार हुआ था। वर्ष 2020 में किसान आंदोलन की वजह से सालभर टोल प्लाजा बंद रहे। वाहन चालकों को लगा कि सालभर टोल में छूट मिलने से उन्हें राहत मिली है, लेकिन कंपनी ने किसान आंदोलन के कारण टोल प्लाजा बंद रहने की स्थिति को बड़े नुकसान का कारण बताया, जिसे एनएचएआई के संज्ञान में लाकर अनुबंध को एक साल की समयावधि के लिए बढ़वा लिया।
अब पानीपत टोल प्लाजा पर 2027 तक टोल वसूली जारी रहेगी। ऐसे में लोगों के बीच सवाल उठने लगा है कि जब कंपनी निर्माण खर्च से लगभग डेढ़ गुना राशि वसूल चुकी है तो कंपनी का अनुबंध किस आधार पर बढ़ाया गया है।
60 किलोमीटर में पांच टोल, एनएचएआई की यह कौन सी नीति
पानीपत शहर के 60 किलोमीटर क्षेत्र में पांच टोल प्लाजा बन चुके हैं। हालात यह हैं कि टोल का भुगतान किए बिना स्थानीय चालक वाहन लेकर जिले से बाहर भी नहीं जा सकते। पानीपत टोल प्लाजा के अलावा जीटी रोड पर दिल्ली लेन में मुरथल और करनाल लेन में घरौंडा टोल, गोहाना रोड पर डाहर टोल और सनौली रोड पर तामशाबाद टोल बन गए है। एनएचएआई की नीति है कि 60 किलोमीटर के क्षेत्र में सिर्फ एक टोल प्लाजा बनाया जा सकता है। अब सवाल यह है कि क्या ये सभी टोल प्लाजा एनएचएआई की अनुमति के बिना शुरू किए गए हैं।
सर्विस रोड खत्म कर ग्रीन बेल्ट बना दी
15 साल पहले जब टोल प्लाजा शुरू हुआ था ताे डीटीओ कार्यालय के साथ ही एक सर्विस रोड गुजरती थी, जो जीटी रोड में मिलती थी। कार, जीप जैसे सामान्य वाहन चालक टोल टैक्स बचाने के लिए सर्विस रोड से सेक्टर 18 होते हुए निकल जाते थे। टोल प्लाजा से महज पौने किलोमीटर दूर इस सर्विस रोड पर रातों रात जेसीबी चलाकर गड्ढे बना दिए गए। फिर पत्थर रखवाकर रास्ता ब्लॉक कर दिया गया। लोगों ने विराेध किया तो सर्विस रोड को ग्रीन बेल्ट में बदल दिया गया। आज कोई नहीं बता सकता कि सर्विस रोड कहां से शुरू हो रही थी।
अगले तीन साल में औसतन और कितना टोल वसूलेगी कंपनी
पानीपत टोल प्लाजा की फिलहाल औसतन मासिक आय 8.50 करोड़ रुपये के करीब है। टोल प्लाजा पर जनवरी 2027 तक वाहन चालकों से टोल लिया जाएगा। इसी औसत आमदनी के हिसाब से अगले 42 माह यानी जनवरी 2027 तक वाहन चालक 357 करोड़ रुपये का और टोल भुगतान करेंगे। अगर टोल बनने से लेकर टोल प्लाजा की समयावधि खत्म होने तक का हिसाब लगाएं तो एलएंडटी कंपनी वाहन चालकों से लगभग 1180 करोड़ रुपये की वसूली कर चुकी होगी, जो टोल निर्माण में खर्च राशि से 2.7 गुना अधिक होगी।
काेरोना और किसान आंदोलन के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिए करार की अवधि एक साल बढ़ाई गई है। कंपनी के उच्च अधिकारियों ने दैनिक टोल कलेक्शन के बारे में कोई भी टिप्पणी किए जाने से मना किया है। इसलिए अधिक जानकारी के लिए एनएचएआई अंबाला टीम से संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा कट खोलने के लिए प्रशासन ने टेंडर लगवा रखे हैं, प्रशासनिक अधिकारियों के निर्देश के बाद ही ओवरब्रिज पर कट खोले जाएंगे।